New Delhi : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि कानून किसानों की भलाई के लिए थे. इसके वापस लेने के बाद उन्होंने किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील की है, वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानून कोरोना की तरह है. इसके खत्म होने से किसानों की ‘बीमारी’ खत्म नहीं हुई है.
अब किसानों को अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार के कहा कि कभी-कभी फैसला व्यापक दृष्टिकोण के आधार पर देश को सामने रखकर लेना जरूरी होता है. कृषि कानून भारत सरकार किसानों की भलाई के लिए लाई थी. सारा देश इस बात का साक्षी है कि कृषि कानून के अंतर्गत कृषि उत्पादन पर टैक्स खत्म हो जाये तो इस कानून में क्या कमी हो सकती है. ऐसा कानून जो वैकल्पिक हो, उस पर किसे क्या शिकायत हो सकती है? किसान अपना उत्पादन कहीं पर भी बेचने को स्वतंत्र है. इस दृष्टि से सरकार ये कानून लेकर आई थी. उन्होंने कहा कि अब किसानों को अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए.
इसे भी पढ़ें – 40 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए बूस्टर डोज जरूरी, वैज्ञानिकों की सिफारिश
किसानों की ‘बीमारी’ खत्म नहीं हुई : टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कानून खत्म होने से किसानों की ‘बीमारी’ खत्म नहीं हुई है. टिकैत ने कृषि कानूनों की तुलना कोरोना जैसी बीमारी से की. उन्होंने कहा कि कोविड की भांति कानून का इलाज तो हो गया लेकिन अब किसानों की दूसरी बीमारियों के उपचार की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि कृषि कानून कोरोना की तरह थे, किसानों की दूसरी ‘बीमारी’ का भी इलाज हो.
असली बीमारी तो एमएसपी है
उन्होंने कहा कि कृषि कानून खत्म होने से किसानों की बीमारी दूर नहीं हुई. राकेश टिकैत ने कहा कि असली बीमारी तो एमएसपी है. इसका इलाज दिल्ली से ही होगा. उन्होंने सरकार पर लोगों को बरगलाने का आरोप लगाया और एमएसपी का मसला उठाया. राकेश टिकैत ने कहा कि नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उनके नेतृत्व में कमेटी बनी थी. उन्होंने स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का भी राग अलापा.
इसे भी पढ़ें – टीम इंडिया का दक्षिण अफ्रीकी दौरा : मंडरा रहे संकट के बादल, पर टीम का चयन इसी हफ्ते