Ranchi : निकाय चुनाव में पिछड़े वर्ग को आरक्षण नहीं देने का मामला राजभवन पहुंचा. सुदेश कुमार महतो के नेतृत्व में आजसू के एक प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. पार्टी की ओर से नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर बात रखी और इससे संबंधित एक ज्ञापन सौंपा.
राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य सरकार निकाय चुनाव कराने की तैयारी में जुटी है. इसके तहत ओबीसी के लिए आरक्षित विभिन्न स्तर के पदों को समाप्त किए जा रहे हैं. यानी निकाय चुनाव में ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण से वंचित किया जा रहा है.
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इसी वर्ष मई में बिना ओबीसी आरक्षण के झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न हुआ. ऐसा झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ. यह स्थिति पैदा करने के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकार जिम्मेदार है. इन चुनावों में ओबीसी को उनका हक और अधिकार मिले, इसके लिए सरकार कभी गंभीर और संवेदनशील नहीं रही. आजसू पार्टी का मानना है कि यह राज्य की बड़ी आबादी की अनदेखी भी है. सरकार ने ट्रिपल टेस्ट कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. इसके अलावा राज्य में जातीय जनगणना कराने की निहायत जरूरत को भी सरकार ने नजर अंदाज कर दिया. राज्य सरकार अपने स्तर से जातीय जनगणना कराने की सीधी पहल करे, इस बाबत आजसू ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सकारात्मक कदम उठाने का आग्रह किया था, लेकिन अब तक सरकार के स्तर पर कोई संतोषजनक पहल होती नहीं दिख रही.
जातीय जनगणना से सामाजिक, आर्थिक स्थिति का सही आंकलन संभव
ज्ञापन में कहा गया कि जातीय जनगणना से हर आदमी की सामाजिक, आर्थिक स्थिति का सही आंकलन संभव है. जातीय आंकड़े आरक्षण की सीमाएं तय करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं. झारखंड में पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने की बहुप्रतीक्षित मांग जातीय आबादी के दावे के साथ सालों से उठती रही है. दरअसल इस राज्य के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग जातियों की बहुलता है. झारखंड में वैसे भी ओबीसी को महज 14 फीसदी आरक्षण हासिल है. जबकि इस वर्ग की आबादी लगभग 51 फीसदी है. अब अलग-अलग कारणों से ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को भी अनारक्षित किया जा रहा है. यानी पंचायत और नगर निकाय में पिछड़ा वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का जो भी मौका था, उसे छीना जा रहा है.
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