- लोहरा एवं बड़ाईक समुदाय के लाखों लोगों को संवैधानिक अधिकारों से होना पड़ रहा है वंचित : डॉ. लंबोदर महतो
- शिक्षा, नियोजन तथा जनकल्याणकारी योजनाओं से वंचित हो रहे ये समुदाय : सुनिता चौधरी
- कास्तकारी कानून का संरक्षण न मिल पाने के कारण इस समुदाय की भूमि गैर जनजातियों को हो रही है हस्तांतरित : डॉ. देवशरण भगत
Ranchi : झारखंड के विभिन्न जिलों में निवासरत लोहरा एवं बड़ाईक, चिक बड़ाईक समुदाय के सदस्यों, जिनके खतियान में दर्ज कौम कमार/लोहार, बड़ाईक है, उन्हें अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र निर्गत करने के संबंध में आजसू पार्टी के नेताओं ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के प्रधान सचिव से सोमवार को मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा.
जनजाति प्रमाण पत्र हासिल करने में हो रही कठिनाई
पत्र में बताया गया कि ब्रिटिशकाल में किए गए जाति जनगणनाओं तथा जिला राजपत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि लोहार/कमार जनजाति के ही अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण के क्रम में लोहरा शब्द प्रचलन में आया. लोहरा शब्द लोहार/कमार के लिए प्रयुक्त क्षेत्रीय नाम अथवा उपनाम हैं. मुख्य जाति लोहार/कमार के झारखंड की सूची से विलोपन होने के कारण व पर्यायवाची लोहरा क्षेत्रीय उपनाम को मूल जाति मान लेने से इस समुदाय के लाखों लोगों को अपने संवैधानिक अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है. जनजाति प्रमाण पत्र हासिल करने में कठिनाई हो रही है और भूमि संबंधी अधिकारों से वंचित होना पड़ रहा है. क्योंकि राज्य में संथाल परगना, छोटानागपुर कास्तकारी अधिनियम लागू है, जिसके तहत जनजातियों की भूमि अधिकारों को संरक्षित किया जाता है. कास्तकारी कानूनों के संरक्षण न मिल पाने के कारण इस समुदाय की भूमि गैर जनजातियों को हस्तांतरित हो रही है. यह समुदाय लगभग भूमिहीन हो चुका है और दिहाड़ी मजदूर के रूप में जीवनयापन करने को मजबूर है.
मौके पर शामिल थे
आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव डॉ. लंबोदर महतो, रामगढ़ विधायक सुनिता चौधरी तथा केंद्रीय मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत की अगुवाई में सामाजिक प्रतिनिधि जितेन बड़ाईक, संवद बड़ाईक, शेखर लोहरा, रविंद्र करमाली, करण करमाली, महावीर कर्मकार सहित अन्य ने प्रधान सचिव से मुलाकात की.
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