LagatarDesk : पृथ्वी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. सूर्य से निकलकर एक विशाल सौर ज्वाला धरती की तरफ बढ़ रही है. जो 14 जुलाई को सूर्य की सतह से फूटा था. अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी डॉ. तमिथा स्कोव के मुताबिक, यह सौर ज्वाला आज यानी 19 जुलाई को पृथ्वी से टकरा सकती है. जो पृथ्वी को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है. इसको लेकर राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. (पढ़ें
Direct Hit! A snake-like filament launched as a big #solarstorm while in the Earth-strike zone. NASA predicts impact early July 19. Strong #aurora shows possible with this one, deep into mid-latitudes. Amateur #radio & #GPS users expect signal disruptions on Earth’s nightside. pic.twitter.com/7FHgS63xiU
— Dr. Tamitha Skov (@TamithaSkov) July 16, 2022
सौर तूफान पृथ्वी से टकराया तो कई सैटेलाइट होंगे प्रभावित
डॉ. तमिथा स्कोव (Dr Tamitha Skov) की मानें तो सूरज से सांप के आकार जैसी एक सोलर फ्लेयर पृथ्वी को हिट करेगी. अगर यह सोलर फ्लेयर पृथ्वी से टकरायी तो एक शक्तिशाली सौर तूफान उत्पन्न होगा. जिससे रेडियो ब्लैकआउट हो सकता है. साथ ही कई सैटेलाइट प्रभावित हो सकते हैं. अगर रेडियो ब्लैकआउट हुआ तो जीपीएस नैविगेशन, टीवी संचार, मोबाइल फोन सिग्नल और रेडियो भी काम करना बंद कर देगा.
अगले 8 सालों तक सौर तूफान आने की रहेगी आशंका
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इन दिनों सूरज काफी सक्रिय रहा है. इस वजह से जियोमैग्रेटिक तूफान आ रहे हैं. जिसे वैज्ञानिक भाषा में (M class) एम-क्लास और (X class) एक्स-क्लास के फ्लेयर्स बोलते हैं. यह सबसे मजबूत वर्ग की फ्लेयर्स है क्योंकि इस समय सूरज एक्टिव है. जो अगले 8 सालों तक रहेगा. इस वजह से सौर तूफानों के आने की आशंका बनी रहेगी.
सूर्य पर विस्फोट से अंतरिक्ष पर बनते हैं आवेषित कण
सूरज पर बने धब्बे से कोरोनल मास इजेक्शन होता है. दूसरे शब्दों में कहे तो सूर्य की सतह पर एक तरह का विस्फोट होता है. इससे अंतरिक्ष में कई लाख किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक अरब टन आवेषित कण फैलते हैं. ये कण जब धरती से टकराते हैं तब कई सैटेलाइट नेटवर्क, जीपीएस सिस्टम, सैटेलाइट टीवी और रेडियो संचार को बाधित करते हैं.
ऐसे बनते हैं सूरज के धब्बे
वैज्ञानिकों की मानें तो जब सूरज के किसी हिस्से में दूसरे हिस्से की तुलना में गर्मी कम होती है, तब वहां पर धब्बे बन जाते हैं. ये दूर से छोटे-बड़े काले और भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखायी देते हैं. एक धब्बा कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है. धब्बों के अंदर के अधिक काले भाग को अम्ब्रा (Umbra) और कम काले वाले बाहरी हिस्से को पेन अम्ब्रा (Pen Umbra) कहते हैं.