Washington : पेरिस में सीजफायर पर रजामंदी के बावजूद यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव बरकारार है. खबर है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने लगभग 106,000 सैनिक जमा कर रखे हैं. अमेरिका ने भी अपने सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा हुआ है. अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि यूक्रेन की सीमा पर रूसी सैनिकों के जवाब में अमेरिका ने अभी अपने सैनिकों को नहीं भेजा है. उन्हें हाई अलर्ट पर रखा है.
जानकारी के असार लॉयड ऑस्टिन ने शुक्रवार को रूस से यूक्रेन पर आक्रमण करने के बजाय राजनयिक रास्ता अपनाने का अनुरोध किया है. अमेरिका को आशंका है कि अगले माह तक रूस यूक्रेन पर हमला कर सकता है. यह चेतावनी ऐसे समय में आयी है, जब 26 जनवरी को दोनों देशों के बीच टकराव टालने बुधवार को पेरिस में चली करीब 8 घंटे की मीटिंग के बाद दोनों देशों; खासकर रूस के तेवरों में कमी आयी है. दोनों देश सीजफायर के लिए तैयार हैं.
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पुतिन ने कहा था कि वे हमला नहीं करेंगे
बता देंम कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बात से इनकार कर चुके हैं कि उनका यूक्रेन पर हमला करने का इरादा है. बदलते घटनाक्रम के बीच नाटो ने कहा है कि वह पूर्वी यूरोप में अपनी तैनाती के लिए अतिरिक्त जहाज और लड़ाकू जेट भेज रहा है. खबरें आ रही हैं कि अमेरिका और ब्रिटेन यूक्रेन से राजनयिकों के परिवारों को वापस ले रहे हैं, मीडिया रिपोर्ट कहती हैं कि मास्को ने सैन्य अभ्यास के लिए पड़ोसी देश बेलारूस में सैनिकों और सामग्रियों को स्थानांतरित कर दिया है.
अमेरिकी ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले का कहना है कि पुतिन अपने सैनिकों को सीमा से दूर हटने का आदेश दे सकते हैं. यानी युद्ध टाला जा सकता है. अमेरिका ने चेतावनी दी कि अगर युद्ध होता है, तो बड़ी संख्या में लोग हताहत होंगे. यह बहुत भयानक मंजर होगा.
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कोई देश नहीं चाहता युद्ध
मॉस्को में अमेरिकी राजदूत जॉन सुलिवन ने कहा कि रूस कह रहा है कि वो युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन यूक्रेन की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर सैनिकों को तैनात करके रूस अमेरिका के साथ टेबल पर बंदूक रखकर बातचीत कर रहा है. रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है, यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा.
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दोनों देशों की सेना के बीच 20-45 किमी की दूरी है
दोनों देशों की सेना के बीच 20-45 किमी की दूरी है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे. दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं है. उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं. अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आयेगा. इससे चीन को इस बात की शह मिलेगी कि वह ताइवान पर कब्जा कर ले.