New Delhi : भीमा कोरेगांव हिंसा में एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी से जुड़े मामले में अमेरिकी फोरेंसिक फर्म की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं. इसमें दावा किया गया है कि कई आपत्तिजनक दस्तावेज ऐसे थे, जो फादर स्टेन स्वामी के लैपटॉप में प्लांट किए गए थे. उन्हें 2020 में कथित आतंकी लिंक के लिए गिरफ्तार किया गया था. एक साल बाद हिरासत में उनकी मौत हो गई थी. इस रिपोर्ट के बाद स्टेन स्वामी के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी के आरोपों पर सवाल खड़े हो गए हैं. एनआईए ने अपनी जांच में फादर स्टेन स्वामी और माओवादी नेताओं के बीच इलेक्ट्रॉनिक कम्यूनिकेशन के आरोप लगाए थे.
’44 दस्तावेज किए गए थे प्लांट’
अपने निष्कर्षों में स्वामी के वकीलों द्वारा काम पर रखे गए बोस्टन स्थित एक फोरेंसिक संगठन आर्सेनल कंसल्टिंग का कहना है कि तथाकथित माओवादी पत्रों सहित लगभग 44 दस्तावेज एक अज्ञात साइबर हमलावर द्वारा फादर स्टेन स्वामी के लैपटॉप में प्लांट किए गए थे. एनआईए ने हालांकि दावा किया कि फादर स्टेन स्वामी 2018 में महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में दंगे भड़काने के लिए 15 अन्य लोगों के साथ एक साजिश का हिस्सा थे. उनके कंप्यूटरों से मिले दस्तावेजों के आधार पर एनआईए ने स्वामी और अन्य मुख्य रूप से वामपंथी झुकाव वाले कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और मानवाधिकार रक्षकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने के लिए माओवादियों के साथ साजिश रचने का आरोप लगाया था.
आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे थे स्वामी
फादर स्टेन स्वामी पहले पादरी थे. बाद में वह आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने लगे. भीमा कोरेगांव मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. इस कदम की व्यापक निंदा हुई थी. आलोचना तब बढ़ गई, जब कोरोना के कारण एक साल के अंदर उनकी मौत हो गई. फादर स्टेन स्वामी की मौत की खबर पर संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने इस खबर को विनाशकारी कहा था.
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