NewDelhi : एमनेस्टी इंडिया ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन पर बरस पड़ी है. बता दें कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में नगर निगम द्वारा बुलडोजर से घरों को ढहाये जाने के एक दिन बाद गुजरात में एक जेसीबी कारखाने का उद्घाटन करने के लिए बोरिस जॉनसन पर एमनेस्टी इंडिया ने हल्ला बोला है.
In the backdrop of Municipal Corporation of Delhi using JCB bulldozers to raze down shops of Muslims in Northwest Delhi’s Jahangirpuri yesterday, UK Prime Minister’s inauguration of a JCB factory in Gujarat is not only ignorant but his silence on the incident is deafening.
1/4— Amnesty India (@AIIndia) April 21, 2022
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जहांगीरपुरी मामले में बोरिस जॉनसन की चुप्पी पर सवाल
ब्रिटिश पीएम पर इस घटना की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए इस मामले में उनकी चुप्पी पर सवाल खड़ा किया है. जान लें कि बोरिस जॉनसन ने गुजरात के पंचमहाल जिले के हलोल में जेसीबी के एक नये कारखाने का उद्घाटन किया था.ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के भारत आने से एक दिन दिल्ली में भाजपा शासित नगर निगम द्वारा जहांगीरपुरी में एक मस्जिद के पास बुलडोजर द्वारा कई कंक्रीट निर्मित और अस्थायी ढाचों को ढहा दिया गया था.
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दिल्ली के जहांगीरपुरी में साम्प्रदायिक हिंसा हुई
इस कार्रवाई से कुछ दिन पहले उत्तरपश्चिम दिल्ली के इस इलाके में साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी. इस अभियान को रोकने के लिए SC को दो बार हस्तक्षेप करना पड़ा. जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए SC ने यथास्थिति कायम रखने का निर्देश दिया है.
एमनेस्टी इंडिया ने तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए ट्वीट किया, दिल्ली नगर निगम द्वारा उत्तर पश्चिम दिल्ली के जहांगीरपुरी में मुसलमानों की दुकानों को गिराने के लिए जेसीबी बुलडोजरों का उपयोग करने की पृष्ठभूमि में, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में एक जेसीबी कारखाने का उद्घाटन न केवल अनदेखा किया जाना है, बल्कि इस घटना पर उनकी चुप्पी भी स्तब्ध करने वाली है.
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ब्रिटेन की सरकार को मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए.
एमनेस्टी इंडिया ने कहा कि ब्रिटेन की सरकार को मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए. उसे मानव अधिकारों पर चर्चा करनी चाहिए. भारत न्याय के लिए एक और दिन इंतजार नहीं कर सकता. एमनेस्टी इंडिया ने ट्वीट किया, अधिकारियों को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने को लेकर भारत के उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बावजूद और आदेश की अवहेलना करते हुए कार्रवाई जारी रही.
जहांगीरपुरी के निवासियों को अपनी संपत्ति बचाने का मौका भी नहीं दिया गया. बता दें कि मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंडिया ने भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आजीविका के अधिकार पर इन कथित बेरहम हमलों को सुरक्षित भविष्य की उनकी आशाओं पर हमला करार दिया है.