Ranchi: हेमंत सरकार और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों इन दिनों मुश्किल दौर से गुजर रही है. पार्टी के दो विधायक अपनी ही सरकार के लिए परेशानी का सबब बन गये हैं. लोबिन हेंब्रम जहां पार्टी की मुश्किल बढ़ा रहे हैं, वहीं सीता सोरेन पार्टी के साथ-साथ सोरेन परिवार की परेशानी भी बढ़ा रही हैं. सोरेन परिवार के अंदर लगातार कलह बढ़ता जा रहा है. यह कलह बढ़ाने वाला कोई और नहीं सीसीएल की आम्रपाली परियोजना है.
आम्रपाली में अतिक्रमण को लेकर सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन पिछले दो सालों से सवाल उठा रही हैं. सितंबर 2020 से अबतक कई बार सीता सोरेन इस मामले को विधानसभा में उठा चुकी हैं. पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिख चुकी हैं. दर्जनों ट्विट भी कर चुकी हैं, लेकिन दो साल बाद भी सीता सोरेन आम्रपाली परियोजना में अतिक्रमण मामले में सरकार की ओर से किये गये कार्रवाई और दिये गये जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई.
इस बजट सत्र में भी सदन में सवाल उठाने और धरना देने के बाद भी उन्हें संतोषप्रद जवाब नहीं मिला है. यही कारण है कि वो अब खुलकर सरकार के खिलाफ आ गयी हैं.
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2020 में सीता गई थीं आम्रपाली और पार्टी से निकाले गये थे कार्यकर्ता
संथाल के जामा विधानसभा सीट से चुनाव जीतने वाली सीता सोरेन ने 2020 में पहली बार सीसीएल चतरा की आम्रपाली परियोजना का रुख किया था. लगातार वहां के विस्थापितों के मुद्दे को लेकर उन्होंने वहां बैठकें शुरू कर दी. इसी बीच आम्रपाली परियोजना को लेकर सीता सोरेन और पार्टी के बीच पहली बार 10 सितंबर 2020 को मतभेद का मामला सामने आया.
जब सीता सोरेन ने जेएमएम सुप्रीम शिबू सोरेन को पत्र लिखकर कहा कि पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं. अपने पत्र में उन्होंने बताया कि वो चतरा के आम्रपाली परियोजना के विस्थापितों के निमंत्रण पर वह सीसीएल के खिलाफ बैठक में शामिल होने के लिए गई थी. विनोद पांडेय ने वहां के पार्टी कार्यकर्ताओं को सीता सोरेन से नहीं मिलने का फरमान जारी किया था, लेकिन फिर भी नेता और कार्यकर्ता आये. जो लोग आये थे उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया. इसपर शिबू सोरेन संज्ञान लें.
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कार्रवाई नहीं होने पर भड़की थी सीता
2 दिसंबर 2021 को इसी मामले को लेकर सीता ने ट्विट किया. उन्होंने कहा कि वन विभाग के संज्ञान में मामला आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. आम्रपाली खदान से शिवपुर साइडिंग तक का रोड वन विभाग द्वारा अतिक्रमण होने के बाद भी रोड को कभी काट दिया जाता है, कभी जोड़ दिया जाता है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण खाता संख्या 68 प्लॉट संख्या 293 अंचल टंडवा, जिला चतरा है. राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार यह वन भूमि में दर्ज है. बावजूद इसके भ्रष्ट पदाधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.
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सदन में सीता ने दिया धरना, कहा- सरकार दे रही गलत जवाब
22 दिसंबर 2021 सीसीएल आम्रपाली मामले को लेकर सीता विधानसभा में धरने पर बैठीं. उन्होंने कहा कि CCL की आम्रपाली परियोजना के तहत शिवपुरी रेलवे साइडिंग में RKTC – BLA कंपनी ने 1.5 किमी वन भूमि का अतिक्रमण किया है. अधिकारियों की मिलीभगत से वन भूमि का अतिक्रमण किया गया है. यह पूरी तरह से सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन है. सरकार पूरे मामले की जांच कराये और जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराये. सीता ने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में सदन में गलत जवाब दे रही है. उन्होंने कहा कि टंडवा प्रखंड में खाता नं 68 प्लांट संख्या 293 राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार वनभूमि दर्ज हैं. 57 एकड़ मध्य भूमि में से 14 एकड़ वन भूमि दर्ज, लेकिन फिर भी खुले आम कोयला ढुलाई करके जंगल को उजाड़ किया जा रहा हैं.
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गड़बड़ी उजागर होने के बाद भी रोक नहीं लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण
दरअसल सरकार की ओर से जवाब दिया गया था कि चतरा के नौडीहा मौजा में 2.94 हेक्टेयर अधिसूचित वनभूमि पर 2019, 2020 और 2021 में क्रमशः मेसर्स मां अम्बे प्राइवेट लि., मेसर्स रामेश्वर प्रोजेक्ट प्रा. लि. और मेसर्स आरकेटीसी लि. ने कोयला परिवहन के लिए भारत सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त सड़क का निर्माण किया गया. इस मामले में सुमित चटर्जी एवं अन्य पांच, टीके राव एवं सुशील कुमार सिंह एवं अन्य दो के खिलाफ जुर्म प्रतिवेदन, ओआर दर्ज किये गये हैं. अन्य जांच के लिए प्रक्रियाधीन हैं. सीता का कहना था कि जब अनियमितता की बात उजागर हो गयी, इसके बावजूद अवैध परिवहन पर रोक नहीं लगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
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सीता का आरोप- दो बार सदन में सवाल उठाने पर मिला गलत जवाब
इसके बाद फिर 25 मार्च 2022 को बजट सत्र में सीता सोरेन ने एक बार और जोरशोर से इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया. उन्होंने कहा कि मैंने विधानसभा में जो सवाल किया है, सरकार से संतोषप्रद जबाव नहीं मिला है. आम्रपाली परियोजना में वन भूमि की लूट का मामला तारांकित और ध्यानकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से दो-दो बार सदन में लाया गया, लेकिन सरकार का जवाब हमेशा गलत आया. सीता ने कहा कि मैं पानी, जंगल और जमीन की सुरक्षा के लिए सदन में आयी हूं. सीसीएल की आम्रपाली परियोजना में वन भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा है और कोयले का अवैध परिवहन किया जा रहा है, लेकिन सरकार इसे रोकने के लिए कुछ नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि सरकार जनता की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही है. जिस जल, जंगल जमीन को लेकर बाबा शिबू सोरेन ने अपने आंदोलन की शुरुआत की थी, उसकी धड़ल्ले से लूट हो रही है.
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