Lucknow : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. मौर्य ने एक बार फिर रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर सवाल उठाते हुए संतों पर निशाना साधा है. सपा नेता धमकी देने वाले साधु-संतों पर हमलावर हैं. उन्होंने ट्वीट किया कि धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किये जाने की साजिश का विरोध करता रहूंगा.
हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा की धूम मची है। आप कैसे बाबा है जो सबसे सशक्त पीठ के महंत होने के बावजूद सिर तन से जुदा करने का सुपारी दे रहे हैं, श्राप देकर भी तो भस्म कर सकते थे। 21 लाख ₹ भी बचता, असली चेहरा भी बेनकाब न होता।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 30, 2023
धर्म की दुहाई देकर आदिवासियों, दलितों-पिछड़ों व महिलाओं को अपमानित किए जाने की साजिश का विरोध करता रहूँगा, जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलती उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) January 29, 2023
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कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलते
जिस तरह कुत्तों के भौंकने से हाथी अपनी चाल नहीं बदलते, उसी प्रकार इनको सम्मान दिलाने तक मैं भी अपनी बात नहीं बदलूंगा. स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट कर कहा, हर असंभव कार्य को संभव करने का नौटंकी करने वाले एक धाम के बाबा(बागेश्वर धाम के बाबा) की धूम मची है.
अयोध्या के संत राजू दास द्वारा उनका सिर काटने पर 21 लाख का इनाम देने की बात पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अगर सच-मुच संत होते तो मुझे श्राप देकर भस्म कर देते. आरोप लगाया कि बहुत सारे हिस्ट्रीशीटर-अपराधी संत बन कर बैठ गये हैं.
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यह कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी
कानपुर आये सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने लखनऊ में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने से इनकार किया. इससे पहले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करके कहा, ‘देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों के सम्मान की बात क्या कर दी, मानो भूचाल आ गया. एक-एक करके संतों, महंतों, धर्माचार्यों का असली चेहरा बाहर आने लगा. सिर, नाक, कान काटने पर उतर आये. यह कहावत सही है कि मुंह में राम बगल में छुरी. धर्म की चादर में छिपे, भेड़ियों से बनाओ दूरी.
किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं
सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने पूर्व में कहा था, तुलसीदास की रामचरितमानस में कुछ अंश ऐसे हैं, जिन पर हमें आपत्ति है. क्योंकि किसी भी धर्म में किसी को भी गाली देने का कोई अधिकार नहीं है. तुलसीदास की रामायण की चौपाई है. इसमें वह शुद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं.’
जान लें कि इस बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस को लेकर दिये गये एक बयान से विवाद की शुरुआत हुई थी. हुई थी. नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में उन्होंने कहा था कि रामचरितमानस के उत्तर कांड में लिखा है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करने के बाद सांप की तरह जहरीले हो जाते हैं.