Ranchi : झारखंड में आर्म्स एक्ट के मामले में बढ़े हैं. साल 2021 की तुलना में साल 2022 में राज्य के अलग-अलग जिलों में आर्म्स एक्ट के ज्यादा मामला दर्ज हुए हैं. झारखंड पुलिस के आंकड़े के अनुसार, साल 2021 में राज्य में आर्म्स एक्ट के 545 मामले दर्ज हुए, जबकि साल 2022 में आर्म्स एक्ट के 603 मामले दर्ज हुए हैं.
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2022 में 603 आर्म्स एक्ट के मामले दर्ज हुए
राज्य में आर्म्स एक्ट के मामले बढ़े हैं. साल 2022 के जनवरी में 48, फरवरी में 40, मार्च में 43, अप्रैल में 50, मई में 40, जून में 55 और जुलाई में 48, अगस्त में 56, सितंबर में 63, अक्टूबर में 57, नवंबर में 52 और दिसंबर में 51 मामले दर्ज हुए हैं.
हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में बनाया अपना ठिकाना
अवैध हथियारों का निर्माण अब बिहार के मुंगेर तक ही सीमित नहीं रहा है. झारखंड में मुंगेर के बने हथियार का एक बड़ा बाजार हुआ करता था. लेकिन अब पुलिस की दबिश से हथियार के सौदागरों ने कई छोटे-बड़े शहरों में अपना ठिकाना बना लिया है. अब हथियार तस्कर सीधे हथियार ना बनाकर उनके पार्ट्स का निर्माण कर रहे हैं और पार्ट्स को ही तस्करी के जरिए अपराधियों और नक्सलियों तक पहुंचा रहे हैं. तस्करी के जरिए पहुंचे हथियार के पार्ट्स को हथियार तस्करों का एक एक्सपर्ट उसे पूरे हथियार के रूप में तब्दील कर देता है.
जानिए आर्म्स एक्ट मामले में क्या है सजा
आर्म्स एक्ट की धारा 25 जिसमें अवैध हथियारों का निर्माण करने, बिक्री करने, मरम्मत करने या उन्हें रखने के लिए न्यूनतम सात वर्ष व अधिकतम 14 वर्ष की सजा को बदलकर न्यूनतम सजा 14 वर्ष व अधिकतम सजा के तौर पर ताउम्र जेल में रहने का प्रावधान कर दिया गया है. आर्म्स एक्ट की धारा 25 (6) को भी संशोधित प्रस्ताव में शामिल किया गया है. जिसमें किसी संगठन के सदस्य द्वारा प्रतिबंधित हथियार का इस्तेमाल करने पर न्यूनतम 10 साल व अधिकतम सजा के तौर पर ताउम्र जेल में रहने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही संशोधन में प्रतिबंधित हथियार या उसके पुर्जे आयात करने, बेचने या खरीदने को अवैध व्यापार की श्रेणी में रखा गया है और इन हथियारों की मार्किंग में छेड़छाड़ करने वाले शस्त्र विक्रेता को 7 साल जेल की सजा देने का प्रावधान रखा गया है.
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