Varanasi : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए मंगलवार को अदालत से तीन सप्ताह का और समय मांगा. इस पर अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की.
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सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए एएसआई को 28 नवंबर तक का समय दिया था
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए एएसआई को 28 नवंबर तक का समय दिया था, लेकिन मंगलवार को एएसआई ने इसके लिए तीन सप्ताह का और समय मांगा. उन्होंने बताया कि अदालत ने समय विस्तार के अनुरोध पर सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है.
सर्वेक्षण रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में कुछ और समय लगेगा
एएसआई ने मंगलवार को दिये अपने आवेदन में कहा कि उसके विशेषज्ञ पुरातत्वविदों, पुरालेखविदों, सर्वेक्षणकर्ताओं, भूभौतिकी विशेषज्ञों आदि द्वारा एकत्र किये गये विभिन्न प्रकार के आंकड़ों को संग्रहीत करने की दिशा में काम कर रहे हैं. यादव ने कहा कि विभिन्न विशेषज्ञों और विभिन्न उपकरणों से मिली जानकारी को आत्मसात करना एक कठिन और धीमी प्रक्रिया है तथा रिपोर्ट को पूरा करने और सर्वेक्षण रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में कुछ और समय लगेगा.
ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर चार अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था
इसलिए अदालत से सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के लिए एएसआई को और तीन सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया गया है. उल्लेखनीय है कि जिला अदालत ने इसी साल 21 जुलाई को एएसआई को ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर चार अगस्त तक रिपोर्ट पेश करने को कहा था और 24 जुलाई को सर्वेक्षण शुरू होने के बाद, पहले उच्चतम न्यायालय और फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश से तीन अगस्त तक काम रुका रहा. उसके बाद एएसआई ने सर्वेक्षण का काम पूरा करने के लिए चार हफ्ते का और वक्त मांगा था.
मस्जिद का निर्माण किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था
अदालत ने सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के लिए पांच अगस्त को चार हफ्ते का और समय दिया था. उसके बाद अदालत ने आठ सितंबर को एएसआई को सर्वे का काम पूरा करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था. अब मामले में अगली सुनवाई बुधवार को होगी. एएसआई ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर की बगल में स्थित ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी हिंदू मंदिर की संरचना पर किया गया था.