Ranchi: बरहरवा टोल प्लाजा मामले में व्यवसायी शंभू नंदन ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी के 24 घंटे के भीतर साहिबगंज पुलिस ने मंत्री आलमगीर आलम और पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी. जांच की निगरानी कर रहे डीएसपी प्रमोद मिश्रा ने बिना किसी प्रारंभिक जांच और डिजिटल साक्ष्य के पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी. प्रमोद मिश्रा बरहरवा के डीएसपी के पद पर तैनात थे, और उनका नाम एएसआई रूपा तिर्की मौत मामले में भी आया था. सोमवार को रांची ईडी के ऑफिस में जांच अधिकारी और झारखंड पुलिस के एएसआई सरफुद्दीन खान से पूछताछ की गई. इसमें सरफुद्दीन खान ने बताया कि पंकज मिश्रा और आलमगीर आलम के खिलाफ जांच बंद करने का फैसला उनके वरीय अधिकारियों का था.
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24 घंटे के भीतर दे दी क्लीन चिट
बीते 22 जून, 2020 को बरहरवा पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अगले दिन मामले की निगरानी हुई और उसके अगले ही दिन संबंधित डीएसपी ने मंत्री आलमगीर और पंकज मिश्रा को क्लीन चिट दे दी थी. ऐसा लगता है कि कोई जांच नहीं की गई. शिकायतकर्ता के बयान और उनके द्वारा पेश किए गए सबूतों की जांच नहीं की गई, और उन पर भरोसा नहीं किया गया.” इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि ईडी प्रमोद मिश्रा को तलब करे. साहिबगंज जिले में दर्ज बरहरवा टोल प्लाजा का मामला उन मामलों में शामिल है, जिनकी ईडी अवैध पत्थर खनन घोटाले के दौरान जांच कर रही है, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण मामला है. क्योंकि यह अवैध खनन मामले में एजेंसी की ईसीआईआर का आधार है. बता दें कि पंकज मिश्रा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि हैं.
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देवव्रत झा के खिलाफ दर्ज कराया गया मामला
गौरतलब है कि वर्तमान में न्यायिक हिरासत में पंकज मिश्रा ने ईडी के सहायक निदेशक और जांच अधिकारी देवव्रत झा के खिलाफ इस मामले के तथ्यों को छिपाने के लिए अदालत के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है. पंकज मिश्रा ने दावा किया कि उन्हें इस मामले में पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. इसलिए, कोई अनुसूचित अपराध शामिल नहीं था. लेकिन इसके बावजूद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर चार्जशीट किया, पंकज मिश्रा ने यह दावा किया है.