Surjeet Singh
किसी भी देश के लिए यह बड़ी खुश होने वाली बात होती है कि उसके पास कुल आबादी का अधिकांश आबादी वर्किंग एज ग्रुप के हैं. वर्किंग एज ग्रुप यानी 15 साल से अधिक उम्र के महिला-पुरुष. वर्किंग एज ग्रुप के लोग देश के लिए एसेट (संपत्ति) माने जाते हैं, लेकिन यही वर्किंग एज ग्रुप के लोग देश के लिए तब लैबलिटी (जिम्मेदारी) और समस्या बन जाते हैं, जब उनके पास काम नहीं होता. यानी उन्हें जॉब (नौकरी) नहीं मिलती. सवाल यह है कि क्या हम इसी स्थिति में पहुंच रहे हैं या सब ठीक ठाक है. जो आंकड़े उपलब्ध हैं, वह भयावह हालात की तरफ इशारा कर रहे हैं.
सीएमईआई के अनुसार
– देश की कुल जनसंख्या- 140 करोड़
– वर्किंग एज ग्रुप की संख्या – 111 करोड़
– 111 करोड़ में से 92.2 प्रतिशत महिलाएं बेरोजगार हैं – करीब 51 करोड़
– 111 करोड़ में से 33.6 प्रतिशत पुरुष बेरोजगार हैं – करीब 18.50 करोड़
– अलग-अलग कामों में लगे पुरुषों की संख्या – करीब 40 करोड़
– अलग-अलग कामों में लगे महिलाओं की संख्या – करीब चार करोड़
कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक रोजगार
- दुनिया में – 26 प्रतिशत
- भारत में – 44 प्रतिशत
- चीन में – 24 प्रतिशत
- बांग्लादेश में – 37 प्रतिशत
देश में नौकरी की स्थिति
- केंद्र सरकार के संस्थानों में स्वीकृत पदों की संख्या – 39.77 लाख
- केंद्र सरकार के संस्थानों में खाली पदों की संख्या – 9.64 लाख
- सिर्फ रेलवे में खाली पदों की संख्या – 2.50 लाख
- देश भर के विद्यालयों में शिक्षकों के कुल रिक्त पद – 8.40 लाख
- कक्षा एक से सात के लिए शिक्षकों के रिक्त पद – 7.00 लाख
- कक्षा आठ से 10 के लिए शिक्षकों के रिक्त पद – 1.20 लाख
- मनरेगा में काम करने वाले रजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या – 44 करोड़
- मनरेगा में काम करने वाले एक्टिव मजदूरों की संख्या – 13 करोड़
वर्किंग एज ग्रुप के अधिकांश लोग काम करने की योग्यता नहीं रखते. उनकी शिक्षा सही ढ़ंग से नहीं हुई. उन्होंने कोई स्किल नहीं सीखा और काम सीखना व ठीक से करना नहीं चाहते हैं. बात शिक्षा की करें, तो 111 करोड़ वर्किंग एज ग्रुप के लोगों में 20 प्रतिशत छठी पास भी नहीं है. 38 प्रतिशत लोग 10वीं या 12वीं पास है और 12 प्रतिशत लोग स्नातक हैं. युवाओं की इस स्थिति के लिए हमारी सरकारें जिम्मेदार है. सरकारें सिर्फ पांच साल में वोट मांगने आती है, आम लोगों के लिए कुछ करती नहीं. लोकलुभावन योजनाओं की बारिश है. गारंटियों का दौड़ है, लेकिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. लाखों सरकारी पद रिक्त पड़े हैं. बहरहाल, कोई नहीं जानता यह वर्किंग ग्रुप कब विस्फोट कर जाये. हाल में परचा लीक की घटनाओं के बाद युवाओं का गुस्सा देखने को मिला है. अगर जल्द ही हम सब ठीक है, विश्व गुरु, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और धर्म की राजनीति के बड़बोलेपन से बाहर नहीं निकलें, तो इसे विस्फोट करने से कोई नहीं रोक सकता.