NewDelhi : इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में आज शनिवार को डेमोनाइजिंग अ डेमोक्रेसी सेशन के तहत यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के एसोसिएट प्रोफेसर और सोशियोलॉजिस्ट सैल्वाटोर बेबोनेस ने अपनी बात रखी. उन्होंने अपनी बात से सबको चौंका दिया. कहा कि भारत का बुद्धिजीवी वर्ग देश विरोधी है. यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं यहां वर्ग की बात कर रहा हूं, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं. यह बुद्धिजीवी वर्ग मोदी विरोधी भी है और भारतीय जनता पार्टी का भी विरोधी है.
बता दें कि प्रोफेसर ने भारतीय लोकतंत्र, फासीवाद और वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को लेकर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र है. भारत ने उपनिवेशवाद से बाहर निकलकर खुद को ग्लोबल स्तर पर साबित किया है.
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रैंकिंग्स में भारत को गलत आंका जाता है
हंगर इंडेक्स, प्रेस फ्रीडम सहित एक के बाद एक कई इंटरनेशनल रैकिंग में भारत की बुरी स्थिति से जुड़े सवाल पर प्रोफेसर बेबोनेस का कहना था कि इन रैंकिंग्स को गलत तरीके से तैयार किया गया है. बताया कि इन रैंकिंग्स को दरअसल सर्वे के आधार पर तैयार किया जाता है. सर्वे किन लोगों पर किये जाते हैं. इनमें इंटेलेक्चुअल वर्ग से जुड़े लोग, विदेश और भारत के छात्र, एनजीओ और मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोग होते हैं. यह कहते हुए बताया कि रैंकिंग्स में भारत को गलत आंका जाता है. प्रोफेसर ने कहा कि भारत में सांप्रदायिक हिंसाओं की खूब बातें होती हैं,
बिहार में ठीक वहीं हालात हैं जो कांगो में हैं
विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में. रवांडा और बुरुंडी जैसे देशों का नाम लेते हुए कहा कि यहां लगभग उतनी ही सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई हैं, जितनी यूपी में. लेकिन हिंसा की इन घटनाओं को लेकर विश्वस्तर पर यूपी का नाम जोर-शोर से लिया गया. कहा कि बिहार में ठीक वहीं हालात हैं जो कांगो में हैं. सवाल यह है कि भारत की एक छवि गढ़ ली गयी है, जो खतरनाक बात है.
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ग्लोबल मीडिया ने भारत को फासीवादी दर्शाया
पहली बार भारत के दौरे पर आये प्रोफेसर बेबोनेस का साफ कहना था कि भारत को फासीवादी दर्शाने के पीछे ग्लोबल मीडिया का हाथ है. उन्होंने कहा कि भारत की वैश्विक छवि को जो चीजें प्रभावित करती है, वह सही जानकारी का अभाव है. वैश्विक मीडिया और दुनिया के पास भारत के बारे में सही जानकारी ही नहीं है.
उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि भारत का बुद्धिजीवी वर्ग देश विरोधी है. यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं यहां वर्ग की बात कर रहा हूं, किसी व्यक्ति विशेष की नहीं. यह बुद्धिजीवी वर्ग मोदी विरोधी भी है और भारतीय जनता पार्टी का भी विरोधी है.