Kolkata : फुटबॉलर मेसी बार्सिलोना को छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन उन्होंने दुखी मन से क्लब छोड़ा था. पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबूल सुप्रियो ने भाजपा छोड़ टीएमसी में शामिल होने को बारे में यह तर्क दिया. एक तरह से बाबूल ने खुद की तुलना मेसी से की. जानकारी दी कि आज बुधवार को स्पीकर से मुलाकात का समय मांगा है. कहा कि वह लोकसभा सांसद पद से इस्तीफा दे देंगे. बता दें कि बाबुल सुप्रियो ने इंडिया टुडे टीवी कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के साथ बातचीत कर रहे थे.
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आप ममता बनर्जी पर हमला कर रहे थे
राजदीप ने पूछा कि कुछ माह पहले तक आप ममता बनर्जी पर हमला कर रहे थे. 2019 में आपने कहा, ममता बनर्जी की यूएसपी हैं. आप तर्क या संवैधानिक चीजों की उम्मीद नहीं कर सकते? इस सवाल पर सुप्रियो ने कहा, मेसी बार्सिलोना नहीं छोड़ना चाहते थे. वह दुखी मन से चले गये, लेकिन हालात ऐसे थे कि उन्हें पीएसजी (पेरिस सेंट-जर्मेन फुटबॉल क्लब) के पास जाना पड़ा. उन्होंने चैंपियंस लीग के पिछले मैचों में पीएसजी के खिलाफ गोल भी किये थे. अब जब वह पीएसजी के लिए खेल रहे हैं, तो क्या आप उनसे बार्सिलोना के नोउ कैंप (घरेलू मैदान) में होने की उम्मीद करते हैं और बार्सिलोना के खिलाफ गोल नहीं करें?
मैं नहीं चाहता, संसदीय राजनीति में मेरे सात साल बर्बाद हों
फुटबॉल और राजनीति को आपस में मिलाने या नहीं मिलाने की बात पर सुप्रियो ने कहा, मैं नहीं चाहता कि संसदीय राजनीति में मेरे सात साल बर्बाद हों. मुझे अपने प्रतिद्वंद्वियों से शानदार मौका मिला, जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी. यह सब पिछले पांच दिनों में हुआ है.’ उन्होंने कहा कि सभी दलों की विचारधारा जनता के लिए काम कर रही है. इस क्रम में राजदीप ने पूढा कि जब आप की कार पर हमला हुआ था, तो आपने टीएमसी और ममता बनर्जी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया थाय,आप के ऐसे इन सारे बयानों का क्या हुआ. सुप्रियो का जवाब था कि यह लेफ्ट की ओर से कराया गया था.
बंगाल में टीएमसी विरोधी चेहरे के रूप में देखे जाने के सवाल पर सुप्रियो ने कहा कि अगर मुझे बंगाल में टीएमसी विरोधी चेहरे के रूप में देखा गया, तो उसका सम्मान क्यों नहीं किया गया? आपको मेरे पिछले बॉस से यह पूछने की जरूरत है. उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक् जेपी नड्डा का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने मुझे भाजपा में एक मंच दिया और मुझे पिछले सात वर्षों में इतनी संसदीय राजनीति सीखने दी.
मंत्री नहीं बनाये जाने पर छोड़ी भाजपा
सुप्रियो का कहना था कि2014 में, मैंने इसे एक बंगाली के रूप में एक चुनौती के रूप में लिया और मैंने अपना नाम सूची में डालने के लिए कहा. मैंने भाजपा से मेरा नाम लिस्ट में डालने को कहा और मैं आपको एक सीट दिलाऊंगा. मैंने 2014 में और फिर 2019 में ऐसा किया, लेकिन अगर आप किसी खास अखबार के संपादक हैं, तो क्या आपको कॉपी राइटर बनाया जाये तो क्या आप इसे पसंद करेंगे?’ लोगों का कहना है कि आपने ममता बनर्जी या टीएमसी के लिए प्यार नहीं छोड़ा, बल्कि भाजपा ने आपको मंत्रिमंडल से बाहर किये जाने से किया.
बाबुल सुप्रियो ने कहा कि किसे क्या मिलता है, यह पार्टी, पीएम और संगठन का विशेषाधिकार है, लेकिन अगर मुझे लगता है कि मेरी जरूरत नहीं है या मुझे अवसर नहीं मिल रहा है तो मैं अपना वेतन नहीं लेने जा रहा हूं और कुछ नहीं करूंगा. उन्होंने कहा, मैंने पूरे मन से राजनीति छोड़ दी थी और आज मैं वापस आ गया हूं क्योंकि मुझे एक अच्छा मौका मिला, वहां मैंने जो भी अनुभव एकत्र किये हैं, मैं उसका उपयोग कर सकता हूं.ममता बनर्जी आपको क्या दे रही हैं, के सवाल पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं कुछ भी बोलने का हकदार या अधिकृत नहीं हूं, यह पार्टी के प्रमुख का विशेषाधिकार है. मैं वर्कहॉलिक हूं.