Ranchi : भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि झारखंड की ट्राइबल एडवायजरी काउंसिल (टीएसी) अवैध है, तो फिर उसकी सिफारिशें कैसे वैध हो सकती है. उन्होंने कहा कि टीएसी का 13 अनुसूचित जिलों के निकायों में एकल पद आदिवासियों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव आंखों में धूल झोंकने वाला है. आदिवासियों के लिए एक पद आरक्षित रखने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन झारखंड में इसे लागू करने का दायित्व केंद्र सरकार को हस्तांतरित करना हास्यास्पद है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले अवैध निर्णय लेते हैं और फिर उन्हें सही ठहराने की कोशिश करते हैं. लेकिन वे जनता को कुछ समय के लिए ही अंधेरे में रख सकते हैं. हेमंत यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि आदिवासी अब बोका (मूर्ख) नहीं रहा. इसलिए समय आने पर आदिवासी उन्हें सबक सिखायेंगे.
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चंपई सोरेन ने बाबूलाल मरांडी पर पलटवार किया
उधर, झामुमो के सीनियर लीडर और हेमंत सरकार में मंत्री चंपई सोरेन ने बाबूलाल मरांडी पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी का कोई बेस नहीं है. यह झारखंड का दुर्भाग्य है कि यहां अधिकतर समय राज करने वाली पार्टी के कुछ “बेसलेस” नेता इधर से उधर लुढ़कते हुए नैतिकता पर ज्ञान बांटते चलते हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले बाबूलाल मरांडी बोलते फिरते थे कि वे कुतुबमीनार से कूद जाएंगे, लेकिन भाजपा में कभी वापस नहीं जाएंगे. विधानसभा चुनाव के बाद कहने लगे भाजपा में अगर झाड़ू मारने का भी काम मिलेगा, तो वे करेंगे. चंपई ने कहा कि बाबूलाल मरांडी की बात का कोई वैल्यू नहीं है. कभी कुछ कहते हैं तो कभी कुछ.
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