Ghatshila : धान का कटोरा कहे जाने वाले बहरागोड़ा प्रखंड में गरमा धान की कटनी शुरू हो गई है. भंडारण की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान ओने पौने दाम पर धान बेचने के लिए मजबूर हैं. इन दिनों 11 सौ से लेकर 12 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेच रहे हैं. समर्थन मूल्य पर गरमा धान की खरीदी नहीं होने के कारण किसान निराश हैं. क्षेत्र के किसान काफी दिनों से गरमा धान की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की मांग सरकार से कर रहे हैं. परंतु इस दिशा में अब तक पहल नहीं हुई है. प्रखंड कृषि विभाग के अनुसार सिर्फ बहरागोड़ा प्रखंड में ही इस वर्ष लगभग 4500 हेक्टेयर खेत में गरमा धान की खेती हुई है. पूरा इलाका गरमा धान की फसल से लहलहा आ रहा है. किसानों के मुताबिक एक एकड़ में लगभग 30 क्विंटल धान का की पैदावार होती है. 4500 यानी कि 11250 एकड़ खेत में गरमा धान की खेती हुई है. क्षेत्र में सिंचाई के लिए सरकारी सुविधाएं काफी कम है. परंतु यहां के किसान ने निजी स्तर से सेलो बोरिंग की व्यवस्था कर गरमा धान की खेती करते हैं. इन दिनों गरमा धान की कटनी शुरू हो गई है. मशीन से कटनी हो रही है.
इसे भी पढ़ें : किरीबुरु : केन्द्रीय विद्यालय में लड़कियों की क्रिकेट प्रतियोगिता में रमन हाउस चैम्पियन
कहीं-कहीं मजदूरों द्वारा भी कटनी कराई जा रही है. किसानों की एक विडंबना है कि धान के भंडारण के लिए इनके पास उचित माध्यम नहीं है. इसलिए किसानों को कटनी के बाद धान को ओने पौने दाम पर बेचना पड़ता है. फिलहाल गरमा धान की फसल से खेत लहलहा रहे हैं. परंतु किसान प्राकृतिक विपदा मसलन भारी वर्षा और ओलावृष्टि को लेकर चिंतित भी हैं. भारी वर्षा और ओलावृष्टि हुई तो गरमा धान की फसल को भारी नुकसान होगा. गोहलामुड़ा के किसान शिबू प्रधान ने बताया कि 1170 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गरमा धान की बिक्री हो रही है. उन्होंने कहा कि सरकार समर्थन मूल्य पर गरमा धान की भी खरीदी करे तो किसानों की तकदीर बदल सकती है.