Baharagora : बहरागोड़ा के नेताजी सुभाष शिशु उद्यान में बैठकें कर रांची और दिल्ली उड़ान भरने वाले जनप्रतिनिधिगण और इसी उद्यान में बैठकें कर रांची और दिल्ली की उड़ान भरने का सपना सपना देखने वाले नेतागण कृपया इस उद्यान पर ध्यान दें. क्योंकि हमेशा गुलजार रहने वाला कला और सांस्कृति का अंतर प्रांतीय केंद्र बहरागोड़ा की धरोहर उद्यान विगत चार साल से देखरेख के अभाव में अब उजड़ रहा है. उद्यान में स्थापित कई महापुरुषों की मूर्तियां उपेक्षित हैं. उद्यान का अस्तित्व मिट रहा है और यही हाल रहा तो मिट भी जाएगा, तब आपको बैठक करने के लिए जगह की तलाश करनी होगी.
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विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और फूलों से सुसज्जित पार्क अब हो रहा वीरान
नेताजी सुभाष शिशु उद्यान उचित देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खो रहा है. यह उद्यान ग्रामीण विकास मेला कमेटी के तत्वावधान में नेताजी सुभाष जयंती के अवसर पर आयोजित होने वाले ग्रामीण विकास मेला, कला व संस्कृति और कृषि के विकास में सहायक रहा है. इस उद्यान में 25 वर्षों तक ग्रामीण विकास मेला आयोजित हुआ है. हालांकि पिछले चार साल से यहां मेला आयोजित नहीं हो रहा है. विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और फूलों के पौधों से सुसज्जित यह पार्क अब वीरान होते जा रहा है. तीन जगह पर चहारदीवारी टूट गई है. परिसर में निर्मित खूबसूरत तालाब टूट गया है और उसमें पानी नहीं है. उद्यान परिसर में गंदगी का अंबार लगा है. अगर इस उद्यान की उचित देखरेख नहीं की गई तो इसका अस्तित्व मिट जाएगा.
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साल 1996 में हुई थी शिशु उद्यान की स्थापना
यहां के रविंद्र नाथ दास की परिकल्पना से 1992 से ग्रामीण विकास मेला की शुरुआत हुई. साल 1996 में इस शिशु उद्यान की स्थापना हुई. तत्कालीन उप विकास आयुक्त निधि खरे ने इसका उद्घाटन किया और तब से प्रत्येक साल जनवरी में नौ दिवसीय नेताजी सुभाष जयंती समारोह सह ग्रामीण विकास मेला आयोजित होने लगा. इस मेला को यहां एक उत्सव की तरह मनाया जाने लगा. मेले में नौ दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रहती थी. ग्रामीण प्रतिभाओं को निखारने के लिए यह एक बेहतर मंच था. किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए यहां कृषि उत्पाद प्रदर्शनी भी लगाई जाती थी. स्थानीय लोगों के सहयोग से यह उद्यान निखरता ही गया.
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सांसद व विधायकों ने उद्यान को सवारने में दिया भरपूर सहयोग
सांसद और विधायकों ने भी इस शिशु उद्यान को सवारने में भरपूर सहयोग दिया. तत्कालीन सांसद शैलेंद्र महतो से लेकर वर्तमान के सांसद विद्युत वरण महतो ने भी सांसद निधि से इस शिशु उद्यान में कई योजनाओं के लिए राशि प्रदान की. यहां के तत्कालीन विधायक डॉ. दिनेश षाड़ंगी और कुणाल षाड़ंगी ने विधायक निधि से इस पार्क में योजनाओं की स्वीकृति दी. नतीजतन, इस उद्यान का चहुमुखी विकास हुआ और पूर्वी सिंहभूम ग्रामीण जिले में यह सबसे सुसज्जित और खूबसूरत उद्यान बन गया. इस उद्यान में बच्चों के खेलने के लिए विभिन्न प्रकार के खेल उपकरण भी लगाए गए. यह उद्यान बच्चों से गुलजार होने लगा. बुजुर्गों के मनोरंजन का साधन भी यह पार्क बन गया. कई महापुरुषों की मूर्तियां भी स्थापित की गईं. स्कूली बच्चों को इस उद्यान का भ्रमण कराया जाने लगा.
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इस उद्यान में कई आदिवासी फिल्मों की हुई है शूटिंग
विदित हो कि इस उद्यान में कई आदिवासी फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. खास बात यह भी है कि इसी उद्यान में जनप्रतिनिधि और विभिन्न दलों के नेता बैठक भी आयोजित करते हैं. 1996 में उद्यान की स्थापना हुई और तब से ग्रामीण विकास मेला इसी उद्यान में आयोजित होने लगा. इस तरह 25 वर्षों तक ग्रामीण विकास मेला आयोजित हुआ. वर्ष 2019 से इस उद्यान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती नहीं मनाई जा रही है और ग्रामीण विकास मेला भी आयोजित नहीं हो रहा है. इन चार वर्षों में उचित देखरेख के अभाव में उद्यान अपना अस्तित्व खोते जा रहा है. ग्रामीण विकास मेला विकास कमेटी के संरक्षक रविंद्र नाथ दास ने कहा कि विगत चार साल से इस पार्क की उचित देखभाल नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि विधायक समीर महंती को आवेदन देकर उद्यान के विकास में सहयोग करने की मांग उन्होंने की है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद की अध्यक्ष को भी स्थिति से अवगत कराया गया है. जिला परिषद की अध्यक्ष ने आश्वस्त किया है कि इस दिशा में ठोस पहल की जाएगी.
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