LagatarDesk : पूरा देश कोरोना महामारी की तीसरी लहर से जूझ रहा है. कोरोना काल में कई लोगों की नौकरियां भी चली गयी. वहीं लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं. इसी बीच आरबीआई ने अनुसूचित बैंक के कर्ज और जमा के बारे में आंकड़ा जारी किया है. आंकड़ों के अनुसार, कोरोना काल में बैंकों के क्रेडिट में भारी उछाल आया. साथ ही डिपॉजिट में भी तेजी दर्ज की गयी. वहीं आरबीआई की एक रिपोर्ट सामने आयी है. जिसमें बैंकों के एनपीए राइट ऑफ करने का आंकड़ा सामने आया है. जो काफी चौंकाने वाली है.
कर्ज लेने वालों की संख्या में आया उछाल
आरबीआई के अनुसार, 31 दिसंबर 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंक कर्ज 9.16 फीसदी बढ़ा. जिसके बाद यह 116.83 लाख करोड़ पहुंच गया. यानी 31 दिसंबर तक लोगों ने बैंकों से करीब 116 लाख करोड़ कर्ज लिया. दूसरी तरफ बैंक डिपॉजिट में भी 10.28 फीसदी की बढ़त दर्ज की गयी. जिसके बाद इस पखवाड़े में बैंकों में कुल 162.41 लाख करोड़ जमा किये गये.
एक साल में बैंक लोन में 5.56 फीसदी की हुई बढ़त
आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2021 को समाप्त पखवाड़े में बैंक लोन 107.02 लाख करोड़ था. वहीं बैंकों में 147.26 लाख करोड़ जमा किये गये थे. इस तरह वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक लोन में 5.56 फीसदी और जमा में 11.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
सरकारी बैंकों ने 9.54 लाख करोड़ से में 7 लाख करोड़ बैड लोन किया रॉइट ऑफ
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में बैंकिंग सेक्टर में लोन राशि की वसूली कम हुई. जिसकी वजह से राइट ऑफ में उछाल आया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कमर्शियल बैंकों ने पिछले पांच वर्षों में 9.54 लाख करोड़ का बैड लोन को रॉइट ऑफ कर दिया. इसमें से 7 लाख करोड़ से ज्यादा राशि सरकारी बैंकों द्वारा राइट ऑफ की गयी.
केवल 4.14 लाख करोड़ की हुई लोन वसूली
आंकड़ों से पता चल रहा है कि बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गयी राशि उनके द्वारा वसूली गयी राशि की तुलना में दोगुनी से अधिक है. पिछले पांच वर्षों में वसूली गयू राशि 4.14 लाख करोड़ थी. राइट ऑफ एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से बैंकों का एनपीए कम आता है. आपको बता दें कि जब बैंक अपने ग्राहकों से कर्ज की वसूली नहीं कर पाते हैं तो वह राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) में चली जाती है. जब बैंकों का एनपीए बहुत ज्यादा हो जाता है तो बैंक इसे रॉइट ऑफ कर देते हैं. यानी बट्टे खाते में डाल देते हैं.
राइट-ऑफ में उछाल के कारण घट रहा ग्रॉस NPA
मार्च 2018 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए 11.8 फीसदी था. जो मार्च 2021 में 7.3 फीसदी पर आ गया. आरबीआई का कहना है कि यह आंकड़ा सितंबर तक 6.9 फीसदी तक आ सकता है. जो 5 वर्षों में सबसे कम होगा. पिछले 5 वर्षों में बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गयी रकम 31 मार्च 2021 को उनके कुल एसेट्स के 5 फीसद से कम थी.