Lagatar Desk : शारदीय नवरात्रि का बड़ा महत्व है. नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. लोग अपने घरों में भी मां दुर्गा की पूजा करते है. जिससे आदि शक्ती की उपासना से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है. इसके साथ ही ज्वार या जौ बोई जाती है. जौ बोना बहुत शुभ माना जाता है. जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और पूरे नौ दिन इसका पूजन किया जाता है. हिंदु धर्म में ऐसी मान्यता है कि बिना जौ बोए माता दुर्गा की पूजा पूरी नहीं होती है.आखिर नवरात्रि में जौ बोते क्यों हैं और जौ के उगने के बाद उससे निकले दानों के रंग कई तरह के संकेत देते हैं.
जौ देते हैं कई संकेत
नवरात्रि के समय जौ इसलिए बोया जाता है कि सृष्टि की सबसे पहली फसल जौ थी. इसीलिए इसे ब्रह्मा के समान माना जाता है. जौ एक पूर्ण फसल होती है.नवरात्र पूजा में केवल जौ बोने का ही महत्व नहीं है, बल्कि यह बहुत तेजी से बढ़ती है. इसके विकास को हमारी सुख-समृद्धि के साथ जोड़कर देखा जाता है.
- जौ का रंग सफेद और हरा होता है और बिल्कुल सीधा उगता है तो ये जीवन में तरक्की और खुशहाली का संकेत देती है.
- जौ लगाने के बाद जल्दी उगने लगे और उसका रंग हरा या फिर पीला हो तो इसे एक शुभ संकेत मानते हैं.
- जौ का रंग नीचे से हरा और ऊपर से पीला है तो ये साल की अच्छी शुरुआत, लेकिन अंत खराब होने का संकेत देती है.
- अगर जौ घनी और हरी उगती है तो पूरा वर्ष अच्छा बीतने का संकेत मिलता है.
जौ घनी नहीं उगती है या ठीक से नहीं उगती है तो ये एक अशुभ समझा जाता है. - जौ का रंग काला है और ये टेढ़ी-मेढ़ी उगती है तो इसे अशुभ माना जाता है.
- जौ अगर सही से नहीं बढ़ रही है, और ध्यान रखने पर भी सूखकर झड़ रही है तो इसे शुभ संकेत नहीं मानते हैं. इस संकेत का अर्थ होता है कि आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने वाली हैं और अगर आप इनसे बाहर निकलना चाहते हैं तो इसके लिए आप सच्चे मन से मां की आराधना करें.
हाथी में सवार होकर आयी मां दुर्गा
हर साल मां दुर्गा का आगमन किसी विशेष वाहन से होता है. जिससे यह अनुमान लगाया जाता है कि मां किस तरह की संकेत दे रही है. इस बार मां दुर्गा हाथी में सवार होकर आ रही है. यह आर्थिक समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक है. लोगों के जीवन में सुख की वृद्धि, जीवन में धैर्य और आनंद प्रकट होगा. जब देवी मां हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बहुत ज्यादा वर्षा होती है. खेत-खलियान हरे-भरे रहते हैं और अन्न की कहीं कमी नहीं रहती है.