Ranchi: दीवाली को देखते हुए पटाखों से प्रदूषण का स्तर हमेशा बढ़ जाता है. पिछले साल दीवाली में पटाखों से निकले धुएं से काफी परेशानी हुई थी. रिम्स क्रिटिकल केयर के इंचार्ज डॉ पीके भट्टाचार्य ने बताया कि पिछले साल दीवाली के बाद वैसे मरीजों को फिर से भर्ती होकर इलाज कराना पड़ा था, जिनका फेफड़ा कोरोना से संक्रमित हुआ था. ऐसे मरीजों में धुएं के कारण फेफड़े का संक्रमण फिर से एग्रेसिव हो गया था.
मतलब उसी प्रारूप में आ गया था जैसे पहले था. जिसे मेडिकल भाषा में एक्यूट एसरवेशन कहते हैं. इसे लेकर डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बुजुर्गों और पहले संक्रमित हो चुके लोगों को पटाखों से निकले धुएं से बचकर रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि कोशिश करनी चाहिए कि ऐसी जगह चले जाएं जहां धुआं अधिक न पहुंचे.
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टीका लेने के बाद भी पूरी तरह नहीं हैं सुरक्षित, सतर्क रहने की जरूरत
डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि विदेशों और भारत में भी मिल रहे ट्रेंड में देखा जा रहा है कि जिन्होंने दोनों डोज ले ली है वैसे लोग भी संक्रमित हो रहे हैं. दोनों डोज ले चुके लोगों में 30 फीसदी संक्रमित होने के चांस हैं. यह डर होना चाहिए, यह सिर्फ आपकी ही नहीं बल्कि पूरे समाज की सुरक्षा के लिए है. लोगों को मानकर चलना चाहिए की संक्रमण उनकी लापरवाही से राज्य में फिर से पांव पसार सकता है. लोगों को लापरवाह होने से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि झारखंड में दीवाली और छठ महत्वपूर्ण त्यौहार हैं, इस दौरान लोगों को बाहर से आना जाना लगातार रहेगा. ऐसे में आशंका है कि कोरोना फिर से जड़ जमाने में सफल न हो जाए.
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रिम्स में तीन मरीज भर्ती, दो कोलकाता से लौटे थे
डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने बताया कि रिम्स में पिछले तीन दिनों में तीन मरीज भर्ती हुए हैं. जिसमें से दो मरीज कोलकाता से लौटे थे. उन्होंने बताया कि मरीज अपने परिवार के साथ कोलकाता गए थे, और परिवार के लगभग सभी लोग संक्रमण के चपेट में आ गए थे. रिम्स के अलावा सदर में भी दो मरीज भर्ती हैं. इसके अलावा कुछ मरीज रांची के निजी अस्पतालों में भी भर्ती हैं. तीन महीने से रांची के सरकारी अस्पतालों में एक भी मरीज भर्ती नहीं थे. बता दें कि अब तक वैसे ही मरीज मिल रहे हैं जो दूसरे राज्यों से वापस लौटे हैं. अधिकतर मरीज स्टेशनों पर ही मिल रहे हैं.