Lucknow : उत्तर प्रदेश में अगले महीने संभावित नगर निकाय चुनाव के लिए सभी सियासी दल पुख्ता रणनीति बनाने में जुट गए हैं. इन चुनावों को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए अपनी-अपनी तैयारियों की हकीकत जानने का अवसर माना जा रहा है. अगले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर कब्जा करने की कोशिशों में जुटी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लोकसभा चुनाव का ‘सेमीफाइनल’ माने जा रहे नगर निकाय चुनाव को भी उतनी ही गंभीरता से ले रही है. वहीं, मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी इसे बेहद संजीदगी से लेते हुए मोर्चाबंदी शुरू कर दी है. इस दफा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी इन चुनावों में पूरे दमखम से उतरने की तैयारी कर रही है, जबकि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) भी नगर निकाय चुनावों के जरिये आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियों को धार देना चाहती हैं.
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सूबे में 17 नगर निगम
प्रदेश सरकार के स्थानीय निकाय निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 438 नगर पंचायतें, 199 नगर पालिका परिषदें और 17 नगर निगम हैं. राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्य में पिछली बार नगर निकायों के चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2017 में हुए थे और उस वर्ष पहली बार सभी दलों ने अपने निशान पर चुनाव लड़ा था. पिछले नगर निकाय चुनावों में भाजपा ने महापौर की 16 में से 14 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं, अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम के महापौर के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने जीत हासिल की थी. बाद में शाहजहांपुर को भी नगर निगम का दर्जा दिया गया, जिससे प्रदेश में नगर निगमों की कुल संख्या बढ़कर 17 हो गई है.
भाजपा ने झोंकी ताकत
लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा आगामी नगर निकाय चुनाव में सभी 17 नगर निगमों, 200 नगर पालिका परिषदों और ज्यादातर नगर पंचायतों में जीत का परचम लहराना चाहती है. प्रदेश भाजपा के मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हमारी पार्टी नगर निकाय चुनाव को भी उतनी ही गंभीरता से ले रही है, जितनी गंभीरता से लोकसभा चुनाव को ले रही है. पार्टी ने प्रदेश स्तर से लेकर बूथ स्तर तक तैयारियां पूरी कर ली हैं. शनिवार को राज्य के हर नगर निकाय के लिए बनाए गए प्रभारियों और सह-प्रभारियों की बैठक कर कार्ययोजना बनाई गई है.” उन्होंने बताया, “भाजपा निकाय चुनावों में ‘हर घर अभियान’ के तहत प्रत्येक दरवाजे पर पहुंचेगी. जो लोग 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हैं, उनका नाम मतदाता सूची में शामिल कराने के लिए पार्टी कार्यकर्ता अभियान चलाएंगे. सभी प्रमुख पदाधिकारी नगर निकाय चुनावों में अपना पूरा दमखम लगाएंगे.” दीक्षित ने कहा कि भाजपा ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनावों में सफलता हासिल की है, उसी तरह नगर निकाय चुनावों में भी झंडे गाड़ेगी. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और संगठन महामंत्री धर्मपाल ने पार्टी के जिलाध्यक्षों, जिला प्रभारियों और निकाय चुनाव संयोजकों के साथ वर्चुअल बैठककर चुनाव की रणनीति तैयार की थी.
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सपा भी दिखा रही दमखम
सपा ने भी नगर निकाय चुनावों को पूरे दमखम के साथ लड़ने का इरादा जाहिर किया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव करीब दो महीने पहले ही सभी नगर निगम क्षेत्रों में प्रभारियों की नियुक्ति कर चुके हैं और संगठन इन चुनावों को लेकर जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. चौधरी ने कहा कि बूथ स्तर पर प्रभारियों की नियुक्ति हो चुकी है और राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा निकाय क्षेत्रों के परिसीमन और आरक्षण का काम पूरा किए जाने के बाद सपा के प्रत्याशियों का चयन भी अगले महीने की शुरुआत तक कर लिया जाएगा. चौधरी ने कहा, “आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नगर निकाय चुनाव काफी संजीदगी से लड़ा जाएगा. हालांकि, दोनों चुनावों के स्तर में अंतर है, लेकिन तैयारियों का जायजा और संगठन के पेच कहां-कहां कसने की जरूरत है, इसका अंदाजा नगर निकाय चुनाव से जरूर हो जाएगा.”
बसपा ने वापसी के लिए कसी कमर
2017 में अलीगढ़ और मेरठ नगर निगम के महापौर पद के चुनावों में जीत हासिल करने वाली बसपा गत विधानसभा चुनाव में मिले करारे झटके के बाद अब नगर निकाय चुनाव के जरिये दमदार वापसी करने की इच्छुक है. बसपा ने रविवार को कांशीराम परिनिर्वाण दिवस के मौके पर ‘हर घर दस्तक’ अभियान की शुरुआत की है. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ता डॉ. भीमराव आंबेडकर, कांशीराम और अन्य दलित महापुरुषों की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाएंगे. बसपा ने एक जून को सदस्यता अभियान भी चलाया था. अब वह कई अन्य अभियान चलाकर लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिशों में जुटी है. वहीं, दिल्ली और पंजाब में मोहल्ला स्तर पर काम करके सत्तारूढ़ हुई ‘आप’ उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनावों में इसी रणनीति पर अमल कर रही है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता वैभव माहेश्वरी ने बताया, “उत्तर प्रदेश में ‘आप’ ने मोहल्ला प्रभारियों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पार्टी ने मोहल्लों की समस्याओं को बताने के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार किया है. इस एप्लीकेशन के जरिये पार्टी हर मोहल्ले की प्रमुख समस्याओं के बारे में जानकारी हासिल करेगी और उनके आधार पर मोहल्लावार चुनाव घोषणा पत्र जारी किए जाएंगे.” माहेश्वरी के मुताबिक, “नगर निकाय चुनावों के लिए ‘आप’ एक समेकित घोषणा पत्र भी जारी करेगी. पार्टी इस बात पर विचार-मंथन कर रही है कि 600 वर्ग फीट तक के मकानों का गृह कर पूरी तरह से माफ किया जाए. वहीं, 2000 वर्ग फीट तक के मकानों का गृह कर आधा कर दिया जाए.” उन्होंने कहा, “पार्टी जल मूल्य को भी पूरी तरह से खत्म करने की व्यवस्था बनाने पर भी विचार कर रही है. इन तमाम चीजों को घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाएगा.” माहेश्वरी ने बताया कि ‘आप’ ने इरादा किया है कि वह ‘अपराध, भ्रष्टाचार और व्याभिचार मुक्त’ छवि वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को ही नगर निकाय चुनाव का टिकट देगी. उन्होंने कहा कि ‘आप’ ने ऐसे प्रत्याशियों से आवेदन मांगे हैं और उम्मीद है कि 10 दिन के बाद पार्टी अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करने का सिलसिला शुरू कर देगी.
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कांग्रेस भी देख रही अपनी संभावनाएं
उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस भी आगामी नगर निकाय चुनाव में पार्टी के लिए संभावनाएं देख रही है. उसकी कोशिश है कि इन चुनावों में दमदार प्रदर्शन करके दूसरे दलों को मजबूत संदेश दिया जाए. कांग्रेस के मीडिया प्रभारी ललन कुमार ने बताया, “पार्टी नगर निकाय चुनावों को प्रदेश में अपने लिए एक नयी शुरुआत का मौका मानते हुए काम कर रही है. पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी और उनके सहयोगी प्रांतीय अध्यक्षों ने शनिवार को कार्यभार ग्रहण कर लिया है. अब निकाय चुनाव की तैयारियां पूरे जोरों पर होंगी.” ललन कुमार के अनुसार, कांग्रेस नगर निकाय चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां पहले ही शुरू कर चुकी है और उम्मीद है कि पार्टी इसमें अच्छा प्रदर्शन करेगी. गौरतलब है कि सभी दल प्रदेश के नगर निकाय चुनावों को संभवत: पहली बार इतनी गंभीरता से लड़ रहे हैं और वे बेहतर प्रदर्शन कर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जनता को एक बड़ा संदेश देना चाहते हैं.