Bokaro: चास के चंदनकियारी का गवई बराज अधिकारियों की लापरवाही के कारण अब तक अधूरा है. बता दें कि गवई बराज परियोजना 136 करोड रुपए की लागत से शुरू की गई थी. गवई बराज का जीर्णोद्धार करते हुए जलापूर्ति शुरू करने की बात शुरुआती दौर में कही गई थी. परंतु अभी तक यह कार्य अधूरा है. यह प्रोजेक्ट टीईपीएल त्रिवेणी इजीको प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की जा रही थी.
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पीसीसी ढलाई करना था
बताया जाता है कि वर्ष 2013 में आये चक्रवाती तूफान के कारण बराज का पाइलिंग क्षतिग्रस्त हो गया था. इससे कैनाल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा था. इसके बाद कैनाल की मरम्मत करवाई गई थी. कैनाल की लंबाई लगभग 44 किलोमीटर है. इसके जमीन और तटबंध को पीसीसी ढलाई करना था. ढलाई का कार्य तो लगभग पूरा हो चुका है. लेकिन अभी भी 25 फीसदी काम बचा हुआ है.
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4537 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी
बताया जाता है कि जलापूर्ति शुरू नहीं हो सकी है और इसके पहले ही नहर में दरार आ गई है. इसकी मरम्मत ठेकेदार द्वारा की जा रही है. बराज बनने के बाद लगभग 54 गांवों के किसानों को इससे लाभ मिलता. साथ ही कुल 4537 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह बराज अनुपयोगी हो चुका है. बता दें कि वर्ष 1977 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर ने गवई नदी में डैम का निर्माण करवाया था. लेकिन अब तक इस नहर से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. किसानों को अब भी बराज से खेत तक पानी पहुंचने का इंतजार है.
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