Bermo: कोरोना महामारी से देश ही नहीं पूरी दुनिया परेशान है. लेकिन जब से कोरोना वैक्सीन का इजाद किया गया है, तब से लोग राहत की सांस ले रहे हैं. इसके बावजूद देश के कई हिस्सों में कोरोना से ग्रसित लोगों की पहचान की जा रही है. हालांकि एहतियातन उसका इलाज भी चल रहा है. अब संक्रमण और नियंत्रण के बीच कई अफवाहें जनमानस को परेशान कर रही हैं. इसी गफलत को दूर करने के लिए बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड अन्तर्गत स्वांग के आरटीआई कार्यकर्ता ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सीवीएसी अनुभाग से कोरोना वैक्सीनेशन को लेकर जवाब मांगा है कि, क्या कोरोना वैक्सीन लगाना अनिवार्य है ? या ऐच्छिक है ? या जबरदस्ती है ? इस सवाल के जवाब में विभाग के अवर सचिव और सीपीआईओ भारत सरकार के सरूप सिंह ने जवाब दिया है कि, कोरोना वैक्सीन लगाना स्वैच्छिक है.
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कोरोना वैक्सीनेशन से जुड़े सवालों के जवाब
आरटीआई के तहत वैक्सीनेशन अनिवार्य या ऐच्छिक के अलावा भी कई सवाल पूछे गये हैं. जिसमें वैक्सीन नहीं लेने पर क्या कुछ हो सकता है ? आरटीआई कार्यकर्ता ने पूछा है कि, क्या वैक्सीन नहीं लगाने पर सारी सरकारी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी ? जैसे सरकारी पेशन इत्यादी. क्या वैक्सीन नहीं लेने पर नौकरी नहीं मिलेगी ? ट्रेन, बस या मेट्रो में चढ़ने नहीं दिया जाएगा ? क्या कोई अधिकारी, पदाधिकारी, स्वास्थ्य या पुलिस विभाग के कर्मचारी किसी नागरिक को धमकी दे कि, वैक्सीन नहीं लेने पर कार्रवाई की जाएगी ? क्या वैक्सीन नहीं लेने पर स्कूल, कॉलेज, गैस कनेक्शन, पानी-बिजली कनेक्शन, राशन इत्यादि नहीं दिए जाएंगे ? क्या वैक्सीन नहीं लेने पर सरकारी या गैर सरकारी नौकरी से निकाल दिया जाएगा ? वैक्सीन नहीं लेने पर क्या वेतन रोक दिया जाएगा ? इन सभी सवालों के जवाब में विभाग ने एक ही जवाब दिया कि, आवेदन में लिखी बातें निराधर हैं. किसी भी सरकारी सुविधा से नागरिकता, या नौकरी इत्यादि से वैक्सीनेशन का कोई संबंध नहीं है. इसके बावजूद आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि, कोरोना महामारी से निपटने के लिए जरूरी है कि, स्वेच्छा से कोरोना का वैक्सीन लें और स्वस्थ रहें.
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