Bermo : भाषा संघर्ष समिति के अध्यक्ष तीर्थनाथ अकाश ने कहा है कि हेमंत सरकार भोजपुरी, अंगिका और मगही के खिलाफ लड़ रहे झारखंड के युवा, नौजवान, महिला और बच्चों के सामने घुटने टेक दी है. सरकार जन भावनाओं के खिलाफ तीनों भाषाओं को स्थानीय सूची में शामिल की है. सरकार को इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ महीने से भोजपुरी मगही और अंगिका को सूची से हटाने की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है. यह आंदोलन झारखंड की भाषा, सभ्यता और संस्कृति जुड़ी है. सरकार आंदोलनकारियों की भावनाओं के विपरित जाकर काम कर रही है, जिसके कारण राज्य की जनता सड़कों पर उतर चुकी है. झारखंड की अगली लड़ाई अपनी अस्मिता की है. 1932 का खतियान आधारित नीति लागू करने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी. जिस भाषा, संस्कृति और सभ्यता के लिए झारखंड राज्य का गठन हुआ है, उसका लाभ यहां के मूलवासी को अब तक नहीं मिला है. अब अगला आंदोलन स्थानीय नियोजन और औद्योगिक नीति के लिए होगी.
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