Bermo: झारखंड में कुपोषण से मुक्ति के इस युद्ध में आंगनबाड़ी केन्द्र ध्वजवाहक के रूप भूमिका निभा रही है. लेकिन बोकारो जिला की दुश्वारियां ऐसी हैं कि, पिछले पांच माह से आंगनबाड़ी केंद्र की ओर से वितरित किया जाने वाला पोषाहार नहीं मिला है. जब आंगनबाड़ी केंद्र को पोषाहार आवंटन ही नहीं होगा तो, ग्रामीण क्षेत्र में लोग कैसे कुपोषण से निजात पा सकेंगे. आंगनबाड़ी केंद्र के अधीन लाभुक गर्भवती, धात्री और 6 माह से तीन वर्ष तक की बच्चों के माँ को पौष्टिक आहार मुहैया कराई जाती है. लेकिन पिछले सितंबर माह से इन लाभुकों को पौष्टिक आहार नहीं मिला है.
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जिले में 2,256 आंगनबाड़ी केंद्र
बोकारो जिला के 9 प्रखंडों में 2,256 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी डॉ सुमन गुप्ता ने बताया कि, बालबाड़ी की राशि नवंबर माह तक का भेज दिया गया है. पोषाहार पिछले दिनों गुड़, मूंगफली, आलू, चावल और दाल दिया जाता था. इन समानों को मुहैया कराने के टेंडर की अवधि समाप्त हो गई है. नए स्तर से पोषाहार मुहैया कराया जाना है. जिसके लिए सरकार के स्तर से निर्णय किया जाना है.
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राज्य में चार लाख कुपोषित बच्चे
राज्य मिशन पोषण के अनुसार झारखंड में चार लाख कुपोषित बच्चे हैं. वहीं समाज कल्याण विभाग का आंकड़ा 22 हज़ार बताता है. राज्य में 9 प्रखंड ऐसे हैं, जहां कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा है. जिसमें बोकारो के दो प्रखंड चास और चंदनकियारी भी शामिल हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में पांच वर्ष तक के कुपोषित बच्चों की संख्या 47 फीसदी है.
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गोमिया में 302 आंगनबाड़ी केंद्र
गोमिया प्रखंड में 11 माह का पोषाहार नहीं मिला है. इस संबंध में गोमिया आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अनिता देवी ने बताया कि, गोमिया में जून 2016, अप्रैल 2017, दिसंबर 2017, जून 2018, जनवरी फरवरी 2020 और सितंबर 2020 से अब तक के पोषाहार का वितरण नहीं किया जा सका है.
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