Ranchi : मुंबई जेल में बीते दिनों फादर स्टेन स्वामी की मौत को झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने हत्या बताया है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत महज एक संजोग नहीं था. उन्हें जिस केस के साथ जोड़ा गया था, वह भीमा-कोरेगांव का आंदोलन था. यह आंदोलन पूरी तरह से एक दलित चेतना का आंदोलन था. लोगों के जहन से ही उस आंदोलन को हटाने के लिए ही इसे देशद्रोही का तमगा दे दिया गया था. देश में कुछ चुनिंदा ऐसे लोग हैं, जो दलितों, आदिवासियों, मजदूरों और अल्पसंख्यकों की बात करते हैं. लेकिन आज उन चुनिंदा विचारकों और लेखकों को चुन-चुन कर फंसाया जा रहा है. फादर स्टेन स्वामी उन्हीं फंसाये जाने वाले लोगों में से एक थे.
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गिरफ्तारी के समय भी स्टेन बहुत बीमार थे
सुप्रियो ने कहा कि अक्टूबर 2020 में जिन हालातों में फादर स्वामी को गिरफ्तार किया गया था, उसी वक्त वे काफी अस्वस्थ थे. वे कई तरह की बीमारियों से ग्रसित थे. लेकिन उन्हें जबरदस्ती यहां से गिरफ्तार कर महाराष्ट्र के जेल में डालने का काम किया गया. जिस व्यक्ति में अपना पूरा जीवन आदिवासी-मूलवासी, दलितों की लड़ाई लड़ी, जिसने अपना पूरा जीवन पेसा कानून, विस्थापन के खिलाफ आंदोलन लड़ा, उसकी आवाज को दबा दिया गया. जेएमएम नेता ने कहा कि फादर की मृत्यु हम सबके लिए बहुत बड़ा चुनौती लेकर आयी है. चुनौती यह है कि आखिर इस देश में आज क्या हो रहा है. क्यों आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक, मजदूर, महिला अधिकारों की बात करने वालों की आवाज को दबायी जा रही है.
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नये राज्यपाल का अपने राज्य में स्वागत करते हैं
उन्होंने कहा कि यह महज संजोग नहीं हो सकता है कि आज सभी मीडिया में दो बातें प्रमुखता से छापी गयी है. एक खबर फादर स्टेन स्वामी का और दूसरा इस राज्य की आदिवासी महिला गर्वनर को हटाने का. जेएमएम नेता ने कहा कि हम नये राज्यपाल का अपने राज्य में स्वागत करते हैं. लेकिन आज जिस सोच के साथ राज्य के लोगों विशेषकर आदिवासियों के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह चिंतनीय है. आखिर क्यों आज हमें भाजपा सरकार में अपने लोगों को प्रताड़ित होते देख रहे हैं.
इस दौरान सुप्रियो ने केंद्र सरकार में होने वाले मंत्रिमंडल बदलाव पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि आज परफोरमेंस को आधार बनाकर यह बदलाव किया जा रहा है. करीब 20 केंद्रीय मंत्रियों से इस्तीफा लिया जा रहा है. इसमें स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी हैं. सुप्रियो ने कहा कि अगर परफोरमेंस को ही आधार बनाना है कि तो प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को पहले इस्तीफा देना चाहिए. क्योंकि पेडिमिक एक्ट और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट को नजरअंदाज कर कोरोना काल में बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल चुनाव हुए. चुनाव प्रचार किया गया, वह पूरी तरह से डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन है. ऐसे में अगर मंत्रिमंडल बदलाव का पैमाना यही है. उदार दिल दिखाकर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी इस्तीफा दे देना चाहिए.