Jamshedpur : पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो के भोजपुरी, मगही और अंगिका के झारखंड में थोपे जाने व आलोचना की भोजपुरी जन जागरण अभियान ने निंदा की है. अभियान के प्रदेश महासचिव अरविन्द कुशवाहा ने कहा कि जिन भाषाओं को पूर्व सांसद झारखंड पर थोपे जाने की बात कह रहें हैं, वे भाषाएं यहां की नई नहीं हैं. यहां दशकों से बोली जा रही हैं. उक्त भाषा-भाषी के लोग यहां वर्षों से रह रहे हैं. साथ ही झारखंड की भाषा और संस्कृति का सम्मान करते हैं. लेकिन पूर्व सांसद की मानसिकता के लोग यहां का भाईचारा खराब करना चाहते हैं. इसलिए उलूल-जुलूल बयानबाजी कर रहे हैं. अरविन्द कुशवाहा ने कहा कि इन्ही भोजपुरी मगही और अंगिका के वोट के चलते जमशेदपुर के दो बार सांसद बने और इनकी पत्नी भी सांसद बनीं. उस समय उक्त भाषा-भाषी के लोग अच्छे थे.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर के मनोज मिश्रा देवों के देव महादेव सीरियल में ऊँ नमः शिवाय गाकर घर-घर में छा गए
माफी मांगें नहीं तो होगा घेराव व पुतला दहन
अरविन्द कुशवाहा ने कहा कि शैलेन्द्र महतो जिनको शोषक, दिकू या प्रवासी कह रहे हैं, ये इनके मानसिक दिवालियेपन को दर्शाता है. भोजपुरी, मगही और अंगिका भाषा-भाषियों ने अपने दम पर झारखंड को सजाने-संवारने का काम किया है. भोजपुरी, मगही, अंगिका और मैथिली भाषा-भाषी बाहरी या प्रवासी नहीं हैं. पहले से ये राज्य में रह रहे हैं. इन सभी भाषाओं के बगैर झारखंड की परिकल्पना नहीं की जा सकती. शैलेन्द्र महतो उलगुलान के नाम पर बाहरी-भीतरी की राजनीति नहीं करें. झारखंड की अस्मिता इन भाषा-भाषियों के चलते खतरे में नहीं है. सभी भोजपुरी, अंगिका, मगही और मैथिली भाषा-भाषी एकजुट होकर शैलेन्द्र महतो के बयान का विरोध करते हैं. वे अपना बयान वापस लें और माफी मांगें वर्ना भोजपुरी जन-जागरण अभियान उनके घर का घेराव और पुतला दहन करेगा.