Ranchi : झारखंड में सवा तीन लाख आबादी वाले आदिवासी भुईंहर मुंडा को राज्य में आदिवासी का दर्जा नहीं मिल रहा है. भुईंहर मुंडा खतियान में दर्ज है. झारखंड में मुंडा आदिवासी की उपजाति है. भुईंहर और मुंडा अलग- अलग समुदाय है. दोनों शब्दों को मिलाकर भुईंहर मुंडा शब्द बनता है. इसके बावजूद इसे एसटी का लाभ नहीं मिल रहा है. भुईंहर आदिवासी समुदाय के बच्चों को शैक्षणिक कार्य में आरक्षण का लाभ से वंचित होना पड़ रहा है. समाज सेवी प्रकाश हुरहुरिया ने बताया कि भुईंहर आदिवासी आदिवासी परंपरा के अनुसार काम होता है. उनका धर्म, संस्कृति, शादी विवाह, पूजा पाठ ,परंपरा, वेशभूषा, रहन- सहन, खान- पान सबकुछ आदिवासियों से मिलता जुलता है. भूईहर आदिवासी समुदाय पहाड़ी या वन क्षेत्र में निवास करते हैं. भुईंहर समुदाय झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा में पर्याप्त संख्या में पहाड़ों व जंगलों में रहते हैं. झारखंड के गढ़वा, पलामू, लातेहार, गुमला, सिमडेगा एवं छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज, बलरामपुर ,कुसमी, जयपुर समेत अन्य जिलों में भुईंहर समाज के लोग अधिक हैं.
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