Pravin Kumar
Ranchi: आदिम जनजाति (परहिया) गांवों में इन दिनों मानव तस्करी जोरों पर जारी है. नाबालिग बच्चे घरेलू और अन्य कार्यों के लिए बेचे जा रहे हैं. कोरोना काल के दौरान ऐसे मामले और बढ़े हैं. वहीं कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियां भी मानव तस्करों की तरह व्यवहार कर रह हैं. दरअसल आदिम जनजाति की लड़कियों को एजेंसियां उनके माता-पिता को जानकरी दिये बिना ही गुप्त रूप से रांची ला रहे हैं. लगातार न्यूज के संवावदाता ने इस पूरे मामले की बारीकी से पड़ताल की. जो तथ्य सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं.
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क्या है मामला
राज्य में कई एजेंसियों की ओर से कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिन एजेंसियों की ओर से कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उसका इंपैनलमेंट जेएसएलपीएस में किया गया है. सरकार की ओर से इन एजेंसियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के लिये फंड मुहाया कराया जाता है. जहां सरकारी नियमों को ताक पर रखकर 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को प्रशिक्षण देने काम कर रही है. जबकि 18 साल से ऊपर की लड़कियों को प्रशिक्षण देने का नियम है.
![BIG BREAKING : मानव तस्करों जैसे व्यवहार में लगा प्लानेट इंफ्रास्ट्रक्चर, कौशल विकास के नाम पर PTG लड़कियां हो रहीं गायब](https://i0.wp.com/lagatar.in/wp-content/uploads/2022/03/PLANET.jpg?resize=600%2C400&ssl=1)
साथ ही बिना लड़कियों के परिजनों को बताये उन्हें दक्षिण भारतीय राज्यों के कॉटन मिलों में भेजने की तैयारी भी की जा रही है. प्लानेट इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड का प्रशिक्षण केन्द्र रांची के बूंटी मोड़ के पास विनायक भवन में है. जहां प्रशिक्षण के दौरान लड़कियों की रखने की व्यवस्था की गई है. लातेहार से लायी गई आदिम जनजाति की परहिया लड़कियों को विनायक भवन में रखा गया है और इनकी संख्या आठ है. आठ में से दो आदिम लड़कियों के परिजन प्रशिक्षण केन्द्र पहुंचे और अपनी बेटियों को वापस ले गये. जबकि अभी भी छह लड़कियां वहीं हैं.
जानकारी के अनुसार, प्रशिक्षण केन्द्र में 120 लड़कियां हैं. जिनमें 30 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की उम्र 18 साल से काम है. इन लड़कियों का नाम स्कूलों में भी दर्ज है. कुछ लड़कियों की बोर्ड की परीक्षा भी है, जिन्हंत परीक्षा देने के लिये भी घर वापस नहीं जाने दिया जा रहा है.
रांची और लातेहार चाइल्ड लाइन में गांव से लड़कियों के गायब होने की शिकायत की गयी थी. लेकिन 24 घंटे के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
लगातार न्यूज का खुलासा
कोरोना काल में स्कूल बंद होने का फायदा कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाली एजेंसियां उठा रही हैं. लातेहार के मनिका प्रखंड की 8 लड़कियों को फरवरी माह में हाट के दिन मनिका बुलाया गया था. इन लड़कियों को गांव से बुलाने का काम जेएसएलपीएस से जुड़े लोग करते हैं. बाजार के दिन बिना उनके अभिभावक को जानकारी दिये नाबालिग लड़कियों को प्लानेट इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रशिक्षण केन्द्र लाया जाता है. मनिका बाजार से सभी लड़कियों को एक निजी वाहन में बैठाकर लाया गया. लड़कियों ने खुद बताया कि 13 हजार रूपये महीना प्रशिक्षण के द्वारा दिया जायेगा. साथ ही सिलाई मशीन भी दी जायेगी. जब लड़कियों को प्लानेट इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड प्रशिक्षण केन्द्र लाया गया, तब उन्हें कहा गया कि यहां पैसा नहीं मिलेगा. साथ ही कहा गया कि जो भी लड़कियां तीन महीने प्रशिक्षण प्राप्त कर लेंगी, उन्हें ही त्रिपुर भेज दिया जायेगा और वहीं 8000 रूपया महीना मिलेगा. इसपर लड़कियां ने जब गांव वापस जाने के लिये प्रबंधक और प्रशिक्षकों से कहा तो उन्हें जाने नहीं दिया गया.
क्या कहते हैं प्रशिक्षण केंद्र के प्रबंधक नितेश
प्लानेट के प्रशिक्षण केंद्र के प्रबंधक नितेश से जब उनका पक्ष लिया गया, तो उन्होंने कहा सरकार के नियमों का पालन करते हुए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सभी लड़कियों के अभिभावकों को जानकारी दी गई है. साथ ही कहा कि 18 साल से नीचे की लड़कियों को प्रशिक्षण नहीं दिया जा रहा है. जब उनसे पूछा गया कि लड़कियों के नाम बताइए और परिवार की रजामंदी से संबंधित दस्तावेज दिखाएं. इसपर प्रबंधक टाल मटोल करने लगे.
क्या कहते हैं ग्राम प्रधान
इस बारं में ग्राम प्रधान ने बताया कि ग्रामसभा की बैठक में इसकी जानकारी मिली है कि गांव की 8 लड़कियां गायब हैं. साथ ही कहा कि लड़कियां कहां हैं, सके बारे में उनके अभिभावकों को भी जानकारी नहीं है.
वहीं ग्राम प्रधान ने ग्राम सभा की बैठक में तय किया और लड़कियों के दो अभिभावक के साथ रांची पहुंचे, और दो को वापस लकेर गांव लौटे. लेकिन अभी गांव की 6 लड़कियां प्लानेट इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के प्रशिक्षण केन्द्र पर रखी गयी हैं. इसकी जानकारी अभिभावकों को नहीं है.
क्या कहते हैं लातेहार जेएसएलपीएस के डीपीएम
पूरे मामले की जानकारी जब जेएसएलपीएस के डीपीएम सचिन साहू को दी गई, तब उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि मामला माइनर बच्चों से जड़ा हुआ है. प्लानेट एजेंसियों ने अपना कोटा भरने के लिये अगर गलत किया है तो उसपर कार्रवाई की जायेगी. प्लानेट एजेंसी के द्वारा मानव तस्करों की तरह व्यवहार करने के सवाल पर कहा मामला संगीन है.
गर्ल चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़ा है
सामाजिक कार्यकर्ता तारामनी साहू और अर्पना बाड़ा ने बताया कि माइनर लड़कियों को सरकार के द्वारा कौशल विकास का प्रशिक्षण देना काफी गंभीर मामला है. साथ ही बताया कि लड़कियों को स्कूलों से दूर किया जा रहा है. जेएसएलपीएस प्लानेट पर कार्यवाई करे. कौशल विकास के नाम पर राज्य में फर्जी काम किया जा रहा है.
इसके अलावा दोनों ने कहा कि प्लानेट में प्रशिक्षण पा रही सभी लड़कियों की डेट ऑफ बर्थ की जांच हो और उनको वापस उनके स्कूलों में भेजा जाए. यह पूरा मामला गर्ल चाइल्ड ट्रैफिकिंग से जुड़ा है.
नोट : इस खबर में जिन लड़कियों का जिक्र है, उनकी गोपनीयता को ध्यान में रखते हुए गांव के बारे में खबर में नहीं बताया गया है. बता दें कि ये मामला लातेहार डीसी अबु इमरान के संज्ञान में है.
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