Giridih : गिरिडीह जिला कांग्रेस में बिखराव पार्टी के लिए बड़ी चुनाौती साबित हो सकती है. कार्यक्रमों में कम कार्यकर्ता देखे जा रहे हैं. जिलाध्यक्ष नरेश वर्मा बिखराव रोकने में विफल साबित रहे हैं. पार्टी को जिले में मजबूत बनाना है तो जिलाध्यक्ष को बिखराव रोकना ही होगा. जिले में इसी माह 8 से 10 दिसंबर तक भारत जोड़ो यात्रा के अगले चरण की शुरुआत होगी. जिलाध्यक्ष को इससे पूर्व बिखराव खत्म कर पार्टी को एकजुटता के सूत्र में पिरोना पड़ेगा. जिला कांग्रेस में पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों के एक सै से ज्यादा पदाधिकारी हैं. पदाधिकारियों की इतनी तादाद रहने के बावजूद पार्टी के कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं की उपस्थिति काफी कम रहती है.
गौरव यात्रा के वक्त भी जिला मुख्यालय और धनवार मैं पार्टी कार्यकर्ताओं की कम उपस्थिति देखी गई. प्रखंडों में कार्यक्रम आयोजित होने पर कार्यकर्ताओं की उपस्थिति उंगलियों पर गिनने लायक रहती है. दिसंबर में भारत जोड़ो यात्रा के अलावा भी अन्य कार्यक्रम होंगे. नगर निगम चुनाव भी देर सबेर होगा. इस स्थिति में कांग्रेस के लिए भारत जोड़ो यात्रा समेत निगम चुनाव में सफलता पाना चुनौती साबित होगी.
जब तक जिला अध्यक्ष पद की भागमभाग रही, तब तक हर कार्यक्रमों में कार्यकर्ताओं की अच्छी खासी उपस्थिति देखी गई. जिलाध्यक्ष पद के दावेदार अपने समर्थकों को लेकर कार्यक्रमों में पहुंचते थे. नए जिलाध्यक्ष की घोषणा नहीं किए जाने पर स्थिति पूर्ववत हो गई. दावेदारों में भी निराशा है. दावेदार अपने समर्थकों को लेकर कार्यक्रमों में नहीं जाते. वैसे पार्टी के स्टेट डेलीगेट अजय कुमार सिन्हा और उपेंद्र सिंह कार्यक्रमों को सफल बनाने में सक्रिय हैं. कार्यक्रमों में दोनों नजर आते हैं.
वर्ष 2018 में नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी. 24 हजार से अधिक मत पार्टी प्रत्याशी को मिले थे. दलीय आधार पर हुए इस चुनाव ने सिद्ध कर दिया था कि शहरी क्षेत्र में पार्टी की मजबूत पकड़ है. फिलहाल नगर निगम चुनाव टल चुका है. इस बार चुनाव दलीय पर आधार नहीं होंगे. पार्टी समर्थित उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरेंगे.
पार्टी के कार्यक्रमों को कांग्रेस नेता ही फ्लॉप करने में लग जाते हैं. हाल ही में झंडा मैदान में पार्टी के स्टेट डेलीगेट उपेंद्र सिंह के आमरण अनशन को फ्लॉप करने की अंदरखाने कोशिश की गई. जिले के विभिन्न प्रखंडों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आमरण अनशन को सफल बनाया. जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी की जयंती पर भी गुटबाजी हावी दिखी. दोनों महान नेताओं की जयंती दो जगहों पर मनाई गई. भारत जोड़ो यात्रा में भी कार्यकर्ताओं की उदासीनता नजर आई.
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