Pravin Kumar
Ranchi: राज्य की हेमंत सोरेन सरकार अपना चार साल का कार्यकाल पूरा करके चुनावी वर्ष 2024 में प्रवेश कर चुकी है. इस लिहाज से 2022 और 2023 का वर्ष सरकार के लिए काफी अहम रहा. बीते वर्ष को कई फैसलों के लिए याद किया जाएगा. इसका असर 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर पड़ना लाजिमी है. हेमंत सरकार ने कई ऐसे फैसले भी लिए, जिनसे राजभवन और विपक्ष से टकराव की भी स्थिति बनी. राज्य में लंबे समय से हो रही आदिवासी/सरना धर्म कोड की मांग को राज्य सरकार ने विधानसभा से पारित कर फैसला केंद्र के पाले में डाल दिया है. यह फैसला सरकार के लिए काफी अहम है. इसके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष समय समय पर उलझते दिखे. उन मुद्दों को सरकार ने अमल में लाना शुरू कर दिया है.
सरकार ने 2023 में एक अहम फैसला फिर से लिया. राजभवन ने जिस 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को संविधान का हवाला देते हुए कई सवाल खड़े किये थे. सरकार ने उसी नीति को बिना किसी की परवाह किए फिर से हुबहू सदन में लाकर पास करा लिया. अभी तक राजभवन के पास ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण देने सहित मॉब लिंचिंग विधेयक विचाराधीन हैं. इसके अलावे झारखंड में किन्नरों को ओबीसी सूची में लाने का हेमंत सरकार ने फैसला लिया. इसकी भी चर्चा देशभर में हुई. हेमंत सरकार ने 25 जुलाई 2023 को कैबिनेट की बैठक में पांच पूर्व मंत्रियों अमर कुमार बाउरी, रणधीर कुमार सिंह, डॉ. नीरा यादव, लुईस मरांडी और नीलकंठ सिंह मुंडा के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में एसीबी में पीई दर्ज करने का फैसला लिया. बिहार में हुए जाति आधारित सर्वे के बाद झारखंड में भी इसकी मांग ने जोर पकड़ लिया. आखिरकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में जाति आधारित सर्वे कराने की घोषणा कर दी.
पिछले सालों के बड़े फैसले
-शहरी क्षेत्र में अपनी निजी जमीन पर पेड़ लगाने पर प्रति वृक्ष पांच यूनिट बिजली फ्री देने का निर्णय.
-संविदा पर नियुक्त एवं कार्यरत महिलाकर्मियों को मातृत्व अवकाश देने का फैसला.
-झारखंड प्रतियोगी परीक्षा अधिनियम 2023 की स्वीकृति, नकल करते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा अधिकतम 10 करोड़ तक का जुर्माने का प्रावधान.
-अबुआ आवास योजना के जरिए चालू वित्तीय वर्ष में 2 लाख, 2024-25 में 03 लाख 50 हजार और 2025-26 में 02 लाख 50 हजार पक्का आवास देने का निर्णय सरकार ने लिया है.
-इसी प्रकार राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों के लिए सहायक आचार्य नियुक्ति-प्रोन्नति एवं सेवा शर्त नियमावली की स्वीकृति दी गयी.
हेमंत सरकार ने झारखंड के गरीब और पिछड़े बच्चों की शिक्षा के लिए गुरु जी स्टूडेंट्स क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की.
– राज्य कर्मियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की.
-इसके अलावा मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत जरूरतमंद कैंसर रोगियों को 25 लाख तक की चिकित्सा सुविधा देने का निर्णय लिया.
-11वीं सिविल सेवा के विज्ञापन का इंतजार कर रहे छात्रों के लिए जेपीएससी नियमावली में संशोधन के सरकार का प्रस्ताव पर राजभवन की मुहर लगना.
राज्य के युवाओं की उम्मीदें
राज्य के युवा हेमंत सरकार से अब भी उम्मीद लगाये बैठे हैं. युवाओं को उम्मीद है कि 2024 चुनावी साल में सरकार उनके हित में कुछ बड़े फैसले लेगी, जो उनके लिए मील का पत्थर साबित होंगे. युवा राज्य में खाली सरकारी पदों को भरने की लगातार मांग कर रहे हैं. 2019 में यूपीए के नेताओं ने अपने जारी मेनिफेस्टो में युवाओं को नौकरी देने का वादा किया था. ऐसे में युवाओं को पूरी उम्मीद है कि सरकार चुनावी साल में जेपीएससी और जेएसएससी की लंबित परीक्षाओं का आयोजन करेगी. जानकारी के अनुसार सरकार भी इन परीक्षाओं के आयोजन को लेकर तैयारी में है. इसी को लेकर सरकार ने 11वीं सिविल सेवा के विज्ञापन का इंतजार कर रहे छात्रों के लिए जेपीएससी नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया था, जिस पर राजभवन की मुहर लग गई है. इससे भी युवाओं की उम्मीद बढ़ी है.
नये साल में क्या होगी सरकार की प्राथमिकताएं और चुनौतियां
पांचवें और चुनावी साल में सरकार की पहली प्राथमिकता होगी चुनावी वादों को पूरा करने की. जिसमें संविदाकर्मियों को नियमित करने का मुद्दा, पारा शिक्षकों के हित में फैसला लेना. मगर यह सब सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप करना होगा, जो चुनौती है. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक, वित्त रहित शिक्षाकर्मियों की मांगों को पूरा करना सरकार के लिए चुनौती है. ऐसे संविदाकर्मियों की संख्या राज्य में करीब ढाई लाख हैं.
हेमंत सरकार की प्राथमिकता अबुआ आवास योजना के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को घर देने की होगी, मगर यह चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि चालू वित्तीय वर्ष के शेष बचे तीन महीने में दो लाख और वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम छमाही में ढाई लाख आवास देने की योजना है, जो चुनौती से कम नहीं है.