- आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के लिए बनी नियमावली को मिली स्वीकृति, बढ़ेगा मानदेय
Nitesh Ojha
Ranchi : हेमंत सोरेन सरकार ने बुधवार को झारखंड में स्थानीय निवासी की परिभाषा तय कर दी है. झारखंड में अब 1932 के खतियानधारी ही स्थानीय निवासी माने जाएंगे. हेमंत सोरेन कैबिनेट में इस प्रस्ताव पर स्वीकृति मिल गयी है. अब वही लोग झारखंड के मूल निवासी माने जाएंगे, जो राज्य की भौगोलिक सीमा में निवास करते हों और खुद अथवा उनके पूर्वजों के नाम से 1932 अथवा उसके पहले का सर्वे खतियान में दर्ज हो. कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी
1932 का खतियान लागू करने के लिए ये प्रक्रिया अपनाएगी
- राज्य सरकार पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय 18 अप्रैल 2016 को पारित झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान संबंधी प्रस्ताव को वापस लेगी.
- राज्य सरकार झारखंड के स्थानीय निवासी की परिभाषा एवं पहचान के लिए झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 विधानसभा में लाएगी.
- वैसे लोग ही झारखंड के मूल निवासी होंगे, जिनके पास 1932 का खतियान उपलब्ध हो.
- भूमिहीनों के मामलों में लोगों की पहचान संबंधित ग्राम सभा द्वारा की जाएगी. ऐसे लोगों को झारखंड के प्रचलित भाषा, संस्कृति, रहन-सहन, वेश-भूषा, संस्कृति एवं परंपरा संस्कृति आदि की जानकारी होनी चाहिए.
- इस प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए हेमंत सरकार इस प्रस्ताव को केंद्र को भेजेगी.
ओबीसी का दायरा बढ़ा, अब 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा
झारखंड में ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाया गया है. राज्य में अब ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. हेमंत सरकार इसके लिए झारखंड में पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम 2001 में संशोधन के लिए विधेयक 2022 विधानसभा में लेकर आएगी. हेमंत कैबिनेट में इस प्रस्ताव को भी स्वीकृति दी गयी है. इस प्रावधान को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस विधेयक के पारित होने के बाद सेवाओं और पदों की सभी नियुक्तियां, जो सीधी भर्ती के द्वारा भरी जाएगी, उसमें आरक्षण का पालन निम्न तरह से होगा—
1 – खुली मेरिट कोटे से 23 प्रतिशत आरक्षण
2 – आरक्षित कोटे से 77 प्रतिशत
• आरक्षित कोटे के 77 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत आरक्षण
• अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत आरक्षण
• अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची 1) को 15 प्रतिशत आरक्षण
• पिछड़ा वर्ग (अनुसूची 2) को 12 प्रतिशत आरक्षण
• आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों का वर्ग 10 प्रतिशत आरक्षण
संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल होंगे दोनों प्रस्ताव
हेमंत सोरेन सरकार ने स्थानीय नीति और आरक्षण नीति को लागू करने के पहले इसके सभी कानूनी पहलुओं पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया, ताकि इसे बाद में कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सके. सरकार ने दोनों प्रावधानों को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के प्रस्ताव की भी स्वीकृति दे दी है.
क्या है नौवीं अनुसूची और क्या हैं इसके फायदे
नौवीं अनुसूची केंद्र और राज्य कानूनों की एक ऐसी सूची है, जिन्हें कोर्ट के समक्ष चुनौती नहीं दी जा सकती. वर्तमान में संविधान की 9वीं अनुसूची में कुल 284 कानून शामिल हैं, जिन्हें न्यायिक समीक्षा संरक्षण मिला हुआ है. यानी इन्हें कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है.
78,000 आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के लिए सरकार ने बनायी नियमावली
हेमंत सोरेन सरकार ने राज्य की 78,000 आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को राहत देते हुए पहली बार उनके लिए नियमावली बनायी है. इस नियमावली को झारखंड आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका चयन एवं मानदेय (अन्य शर्तों सहित) नियमावली 2022 के नाम से जाना जाएगा. महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग के कैबिनेट में लाए प्रस्ताव को भी हेमंत सरकार ने स्वीकृति दे दी है. इस नियमावली में आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के मानदेय वृद्धि के साथ कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं.
नई नियमावली में बढ़ा मानदेय
1 – अब आंगनबाड़ी सेविकाओं को 9500 रुपये और आंगनबाड़ी सहायिकाओं को 4750 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा
- आंगनबाड़ी सेविकाओं के 9500 मानदेय राशि में केंद्र का 2700 रुपये और राज्य सरकार का 6800 रुपये हिस्सा होगा
- आंगनबाड़ी सहायिकाओं के 4750 रुपये मानदेय राशि में केंद्र का हिस्सा 1350 और राज्य सरकार का 3400 रुपये हिस्सा होगा
2 – राज्य के लघु आंगनबाड़ी केंद्रों में काम कर रही सेविकाओं को 9500 रुपये और सहायिकाओं को 4750 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा
- लघु आंगनवाड़ी सेविकाओं को मिलने वाले 9500 रुपये में केंद्र का हिस्सा 2100 और राज्य सरकार का हिस्सा 7400 रुपये होगा
3 . सभी आंगनबाड़ी कर्मियों का खुलेगा पीएफ एकाउंट. उसमें सरकार मानदेय का 6 प्रतिशत धनराशि अलग से जमा कराएगी.
4 . अब आंगनबाड़ी कर्मियों को भी अनुकंपा का मिलेगा लाभ. काम में रहते हुए मृत्यु होने की स्थिति में आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका की एक आश्रिता का (जो चयन की अन्य अर्हताएं पूर्ण करती हो) चयन उक्त आंगनवाड़ी केंद्र के सेविका व सहायिका के रूप में किया जाएगा.
5 . आंगनबाड़ी सेविकाओं के मानदेय में प्रतिवर्ष 500 रुपये की वृद्धि की जाएगी. आंगनबाड़ी सहायिकाओं के मानदेय में प्रतिवर्ष 250 रुपये की वृद्धि की जाएगी. यह वृद्धि प्रतिवर्ष जुलाई माह में की जाएगी.
6. आंगनबाड़ी सेविका व सहायिका की कार्य से सेवानिवृत्ति की उम्र 62 वर्ष की होगी.
7 . आंगनबाड़ी सेविका सहायिका के वार्षिक मानदेय वृद्धि तथा दैनिक कार्य की निगरानी के लिए पंचायत और वार्ड स्तरीय प्रशासनिक प्राधिकार अपनी अनुशंसा बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को देगा. इसका स्वरूप निम्न होगा-
ग्रामीण क्षेत्र में
क – ग्राम पंचायत का मुखिया अध्यक्ष होगा
ख – संबंधित महिला पर्यवेक्षिका सदस्य होगी
ग – संबंधित पोषक क्षेत्र के निकटवर्ती प्राथमिक व मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सदस्य होंगे
शहरी क्षेत्र में
क – वार्ड पार्षद अध्यक्ष होंगे
ख – संबंधित महिला पर्यवेक्षिका सदस्य होगी.
ग – संबंधित पोषक क्षेत्र के निकटवर्ती प्राथमिक व मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक सदस्य होंगे
इसे भी पढ़ें– किशोर मंत्री बने झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के नये अध्यक्ष
Subscribe
Login
0 Comments