Lagatar Desk: बिहार में सिर्फ कहने को शराब बंदी है. सच यह है कि बिहार में हर जगह शराब उपलब्ध है. राज्य सरकार इससे इंकार करती रही है. लेकिन पिछले तीन दिनों में यह पानी की तरफ साफ हो गया है. जहरीली शराब पीने से बिहार के चार जिलों में पिछले तीन दिनों में कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई है.
नालंदा में सबसे अधिक 12 मौतें
जहरीली शराब पीने से 12 लोगों की मौत सिर्फ नालंदा में हुई है. किसी गैर एनडीए शासित राज्य में यह हुआ होता तो मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया में अब तक उस राज्य में “जंगलराज” का तमगा दे दिया होता.
नवादा के अलावा रोहतास, बेगूसराय औऱ मुजफ्फरपुर में भी जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है. सासाराम के कोचस थाना क्षेत्र के चवरी गांव में पांच लोगों की मौत संदिग्ध हालात में हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सभी की मौत शराब पीने से हुई है. इससे पहले भी पिछले महीने सासाराम में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो गई थी, और दो लोगों के आंख की रौशनी चली गई थी. गत 30 मार्च को बेगूसराय में जहरीली शराब पीने से दो लोगों की मौत हो गई थी.
बिहार में पांच सालों से शराबबंदी
बिहार में पांच साल से शराबबंदी है. लेकिन जिनके पास पैसा है, हैसियत है, पहुंच है, उनके लिये हर ब्रांड की शराब उपलब्ध है. हां, गरीबों को भी सस्ती शराब मिल जाती है. कई बार वह जहरीली होती है. तब गरीब मरते हैं. एक-दो मौतों की चर्चा तो मीडिया में होते भी नहीं. जब कई लोग एक साथ मरते हैं, तब अखबारों में थोड़ी-बहुत खबरें छप जाती हैं. नेशनल मीडिया चुप ही रहता है.
शराबबंदी को लेकर बिहार की नीतीश सरकार फेल
दरअसल, शराबबंदी को लेकर बिहार की नीतीश सरकार फेल है. शराब बेचने वालों ने समानांतर व्यवस्था और अर्थव्यवस्था कायम कर ली है. वहां एक ताकतवर सिंडिकेट माफिया पैदा हो गया है. कानून के रखवाले शराब माफिया से मिले हुए हैं.
नंदीग्राम का संग्राम : ममता के सामने बीजेपी-टीएमसी कार्यकर्ता भिड़े, सीएम ने राज्यपाल को फोन लगाया
कोरोना का असर : छत्तीसगढ़ में होने वाली राष्ट्रीय सब जूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता भी स्थगित