Gaya: इस साल विश्वप्रसिद्ध पितृपक्ष मेले की शुरुआत 28 सितंबर से हो रही है. यह 14 अक्टूबर तक चलेगा. पितरों की मुक्ति के लिए इन दिनों पिंडदान, तर्पण विधि और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. मान्यता के अनुसार, पितृपक्ष में परलोक गए पूर्वजों को पृथ्वी पर अपने परिवार के लोगों से मिलने का अवसर प्राप्त होता है, और वह पिंडदान श्राद्ध कर्म करने की इच्छा से अपने संतानों के पास रहते हैं.
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गया को कहा गया है मोक्ष की स्थली
गया को मोक्ष की स्थली भी कहा जाता है. यहां फल्गु नदी में बालू से पिंडदान किया जाता है. पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है. बताया जाता है कि गयाजी में भगवान विष्णु स्वयं पितृदेव के रूप में निवास करते हैं, और गया में श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करने से कुछ शेष नहीं रह जाता और व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता है. गया में फल्गु नदी के तट पर भगवान राम और माता सीता ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था. इसके बाद कौरवों ने भी इसी स्थान पर श्राद्धकर्म किया था.
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