Raipur : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में आठ साल पहले 2013 में सुरक्षाबलों द्वारा आठ लोगों को माओवादी बता कर मार डाला गया था. इस मामले में न्यायिक जांच बैठायी गयी थी. अब इसकी रिपोर्ट आ गयी है. इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. रिटायर्ड जज जस्टिस वीके अग्रवाल की यह रिपोर्ट बुधवार को कैबिनेट को सौंपी गयी है. न्यायिक जांच की रिपोर्ट में कहा गया है कि मारे गये लोगों में से कोई भी माओवादी नहीं था. वे सभी निहत्थे आदिवासी थे.
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सीबीआई भी अलग से जांच कर रही है
बता दें कि बीजापुर जिले के एडेसमेट्टा में सुरक्षाबलों द्वारा आठ लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. मरनेवालों में चार नाबालिग भी थे. जस्टिस अग्रवाल की रिपोर्ट में कहा गया है कि आदिवासियों पर 44 गोलियां चलाई गयी थीं, जिनमें से 18 गोलियां सीआरपीएफ की कोबरा यूनिट के केवल एक कॉन्स्टेबल ने चलाई थी.
जान लें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मई 2019 से सीबीआई भी अलग से जांच कर रही है. 17-18 मई 2013 की रात को ये लोग मारे गये थे. एडेसमेट्टा जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर की दूरी पर है. निकटतम सड़क से भी इसकी दूरी लगभग 17 किलोमीटर है. यह इलाका वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित है.
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25 से 30 लोग बीज पांडम त्योहार मनाने के लिए जमा हुए थे
रिपोर्ट के अनुसार 25 से 30 लोग बीज पांडम त्योहार मनाने के लिए जमा हुए थे. तभी वहां सुरक्षाबलों की टुकड़ी पहुंच गयी. उस समय फायरिंग किये जाने को लेकर सुरक्षाबलों द्वारा कहा गया था कि वे आग की चपेट में आ गये थे. इसके बाद जवाबी कार्रवाई की. लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि उनको कोई खतरा नहीं था. न्यायिक जांच की रिपोर्ट में बताया गया है कि यह फायरिंग गलत धारणा और डर की प्रतिक्रिया की वजह से हुई होगी.
खुफिया जानकारी होती तो इस घटना को टाला जा सकता था
अगर सुरक्षाबलों के पास पर्याप्त उपकरण होते, खुफिया जानकारी होती तो इस घटना को टाला जा सकता था. कहा गया कि उधर से कोई गोली नहीं चली थी. कोबरा कॉन्स्टेबल देव प्रकाश की मौत माओवादियों की गोली से नहीं हुई थी. घटना के संबंध में ग्रामीणों का कहना था कि जब गोलीबारी होने लगी तो वे लोग चिल्ला रहे थे कि गोलीबारी रोक दो, हमारे लोगों को गोली लगी है. रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया है कि सुरक्षाबलों में कई कमियां पायी गयी, ऑपरेशन को लेकर उनके पास कोई मजबूत खुफिया जानकारी नहीं थी.