-50 हजार से काम वोटों से जीतने वाले का बदली जा सकती है सीट
-मोदी लहर में भी अर्जुन मुंडा मात्र 1445, सुदर्शन भगत 10,363 और सुनील सोरेन 47,590 वोट के अंतर से जीते थे चुनाव
-2019 में चार सीटिंग सांसद कड़िया मुंडा और गिरिडीह सांसद रवींद्र पांडेय, रांची से सांसद रामटहल चौधरी और कोडरमा सांसद रवींद्र राय का कटा था टिकट
Praveen Kumar
Ranchi: झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा एक साथ कई मोर्चों पर तेजी से काम करने में जुट गई है. पार्टी का फोकस 2019 में हारी हुई 2 लोकसभा सीटों के साथ-साथ उन सीटों पर भी है, जहां से भाजपा सांसद लगातार जीत रहे हैं. खासतौर से उन सीटों पर जहां से एक ही नेता ने लोकसभा का पिछला दोनों चुनाव जीता हो. झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में राजमहल, दुमका, गोड्डा, चतरा, कोडरमा, गिरिडीह, धनबाद, रांची, जमशेदपुर, सिंहभूम, खूंटी, लोहरदगा, पलामू और हजारीबाग की सीटें शामिल हैं. सिंहभूम लोकसभा सीट कांग्रेस और राजमहल सीट झामुमो के कब्जे में है. वहीं गिरिडीह सीट भाजपा के सहयोगी पार्टी आजसू के पास है.
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सांसदों के कामकाज का आंकलन
2019 के लोकसभा चुनाव में जीतने वाले सांसदों के कामकाज का आंकलन भाजपा कई स्तरों पर कर रही है. मोदी लहर के बाद भी कम मार्जिन से चुनाव जीतने वाले सांसदों के सीटों में बदलाव किए जाने की संभावना है. वहीं खराब प्रर्दशन वाले सांसदों के टिकट कट सकते हैं और नये चेहरे को मौका दिया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री सह खूंटी सांसद अर्जुन मुंडा 1,445 वोट, पूर्व केन्दीय मंत्री लोहरदगा सांसद सुदर्शन भगत मात्र 10,363 और दुमका के सांसद सुनील सोरेन 47,590 वोट के अंतर से चुनाव जीते थे. ये जद में आ सकते हैं. स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता का भाजपा आंकलन कर रही है. लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय चेहरे हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर सांसदों की लोकप्रियता और जनता से उनका जुड़ाव भी जीत हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
एंटी इनकंबेंसी की धार कुंद करने की कवायद
भाजपा इससे पहले भी कई बार विभिन्न राज्यों में नेताओं के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी की धार को कुंद करने के लिए बड़े पैमाने पर अपने चुने हुए नेताओं का टिकट काट चुकी है. भाजपा को इसका लाभ भी हासिल हुआ है. इसलिए भाजपा के टिकट पर एक ही सीट से लगातार चुनाव जीतने वाले सांसद, खासतौर से ऐसे सांसद जो 2014 और 2019 का चुनाव एक ही क्षेत्र से जीते हैं, उन्हें 2024 में भी अपनी सीट को बरकरार रखने के लिए अपनी लोकप्रियता साबित करनी होगी. भाजपा ने 2019 में खूंटी सांसद कड़िया मुंडा और गिरिडीह सांसद रवींद्र पांडेय,रां ची से सांसद रामटहल चौधरी और कोडरमा सांसद रवींद्र राय को टिकट नहीं दिया था. कड़िया मुंडा और रामटहल चौधरी का टिकट उम्र के आधार कटा था. ये दोनों नेता 75 वर्ष से अधिक के था.
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सर्वे और आला नेताओं का फीडबैक महत्वपूर्ण
पार्टी के आला नेता लगातार प्रदेश के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर सांसदों के कामकाज को लेकर फीडबैक ले रहे हैं. प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री नागेंद्र त्रिपाठी सांगठनिक कार्यों के साथ-साथ संसदीय सीटों की भी समीक्षा कर रहे हैं. जल्द ही नये प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी आने वाले हैं. सूत्रों की मानें तो चुनाव आते-आते भाजपा कई स्तरों पर उम्मीदवार के चयन को लेकर चरणबद्ध सर्वे भी कराएगी. पहले चरण का सर्वे कार्य पूरा भी कर लिया गया है. इन तमाम सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही यह तय किया जाएगा कि किस सीट से किस नेता को चुनावी मैदान में उतारा जाए. किस सांसद का सीट बदला जाए और किस सांसद का टिकट काट दिया जाए.
सिंहभूम और राजमहल सीट जीतने के लिए नई रणनीति
अब बात उन 2 लोक सभा सीटों की जिन पर 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 11 और उसके सहयोगी आजसू पार्टी को 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी. सिंहभूम लोकसभा सीट से भाजपा 72,155 वोटों से हारी थी. वहीं राजमहल लोकसभा सीट से99,195 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था. अब पुराने सीटों के साथ-साथ इन दोनों सीटों को हासिल करने की रणनीति पर भाजपा काम कर रही है.