New Delhi : गरीब सवर्णों को शिक्षा व सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण के केंद्र सरकार के फैसले पर ‘सुप्रीम’ मुहर लग गई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए भाजपा ने इसे पीएम नरेंद्र मोदी की जीत बताया है. उधर, कांग्रेस नेता व पूर्व नौकरशाह उदित राज ने इसकी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की उच्च जाति समर्थक मानसिकता को चुनौती देते हैं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक है! इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने 3-2 के साथ EWS आरक्षण को मंजूर किया. बेंच के पांच जजों में से तीन EWS कोटे को संविधान के अनुरूप बताया. जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत दो जजों ने इसे अनुचित करार दिया. लेकिन, बहुमत के हिसाब से मोदी सरकार के फैसले पर मुहर लग गई है.
इसे भी पढ़ें –एक दूजे के हुए पलक मुच्छल और मिथुन, सिंगर ने इंस्टा पर शेयर की फोटोज
कांग्रेस ने जताया विरोध
पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज ने इस फैसले का विरोध जताया. उन्होंने ट्वीट किया, “सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! EWS आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नहीं है, लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी, तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा.”
भाजपा ने किया स्वागत
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भाजपा ने स्वागत किया है. भाजपा महासचिव बीएल संतोष ने कहा कि अनारक्षित वर्गों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा है. पीएम मोदी के गरीब कल्याण की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. भाजपा महासचिव सीटी रवि ने कहा कि यह फैसला भारत के गरीबों को सामाजिक न्याय प्रदान करने के अपने “मिशन” में मोदी के लिए एक और जीत है.
चीफ जस्टिस समेत दो जजों ने जताया ऐतराज
गौरतलब है कि सोमवार को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने देश में गरीब तबके के लोगों को उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 10 फीसदी EWS कोटे को बरकरार रखा है. 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 3-2 से इस कोटे के पक्ष में फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट ने इस कोटे को गलत करार दिया है और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया.
सामाजिक न्याय के संघर्ष को आघात : स्टालिन
तमिलनाडु के सीएम व सत्तारूढ़ द्रमुक के नेता एमके स्टालिन ने भी फैसले की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि आज के फैसले से करीब आधी सदी से जारी सामाजिक न्याय के संघर्ष को आघात पहुंचा है.