Saurav Shukla
Ranchi: एंबुलेंस का हूटर सुनते हैं सड़कों पर चलने वाले लोग, तो उन्हें रास्ता देते हैं. रास्ता देना भी जरूरी है, क्योंकि एंबुलेंस गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम करती है. यह एक ऐसी आकस्मिक सेवा है, जिसको प्रशासन भी रोकना मुनासिब नहीं समझता है. लेकिन एंबुलेंस चालक और इसके मालिक बेखौफ नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. इसकी बानगी भी देखने को मिली. जब सूबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में लगातार. इन संवाददाता ने पड़ताल किया, तो यह सच सामने आया. यहां दर्जनों प्राइवेट नंबर वाली एंबुलेंस का कॉमर्शियल इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे बड़ी कमाई की जा रही है. एंबुलेंस ड्राइवर और मालिक मालामाल हो रहे हैं.
रिम्स परिसर में बेतरतीब ढंग से खड़े किए जाते हैं एंबुलेंस
रिम्स परिसर में बेतरतीब ढंग से दर्जनों एंबुलेंस खड़े कर दिए जाते हैं. इससे अक्सर जाम लगने की समस्या बनी रहती है. अस्पताल के पुराने इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर के बाहर की सड़क, कार्डियोलॉजी विभाग और पोस्टमार्टम हाउस में प्राइवेट नंबर वाली एंबुलेंस लगी रहती हैं. वहीं कार्डियोलॉजी विभाग परिसर में कई ऐसी एंबुलेंस भी हैं, जो लंबे समय से खड़ी है. टायर पंक्चर हो चुका हैं. गाड़ियां धूल फांक रही हैं. लेकिन ना तो प्रबंधन का इस ओर ध्यान है और ना ही जिला प्रशासन का.
भाड़े को लेकर चालकों के बीच हुई थी झड़प
गुरुवार की शाम को एंबुलेंस चालकों में भाड़े को लेकर झड़प भी हुई थी. दो पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई. पिस्टल लहरायी गयी. बट से मारकर गिरिडीह के रहने वाले रियाज को जख्मी कर दिया गया. गाहे-बगाहे ऐसी घटनाएं रिम्स परिसर में होती रहती हैं. वहीं एंबुलेंस चालक मरीजों से मनमाना किराया वसूलते हैं, इस पर लगाम नहीं है.
क्या कहते हैं जिला परिवहन पदाधिकारी
इस मामले में जिला परिवहन पदाधिकारी प्रवीण प्रकाश ने कहा कि यदि कोई भी एंबुलेंस का इस्तेमाल कॉमर्शियल वाहन के रूप में हो रहा है, तो उसके रजिस्ट्रेशन का अलग प्रावधान है. कॉमर्शियल वाहन का नबंर प्लेट पीला रंग का होना चाहिए. ऐसे में यदि कोई प्राइवेट नंबर (सफेद नंबर प्लेट) वाली एंबुलेंस का इस्तेमाल कॉमर्शियल वाहन के रूप में कर रहा है, तो यह नियमतः गलत है.
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