Saraikela : सरायकेला पुलिस लाइन में हथियार सफाई के दौरान गोली लगने से घायल आर्मरर दिलीप कुमार सिंह की कोलकाता में इलाज के दौरान मौत के बाद बिल चुकाने तक उनके पार्थिव शरीर को वहां एक तरह से बंधक बनाकर रखा गया. पुलिस एसोसिएशन के कल्याण कोष से 3.93 लाख का बिल अस्पताल को चुकाने के बाद पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ने भेजा. इस पर झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राकेश कुमार पांडेय ने अपने बयान में कहा है कि आरक्षी दिलीप कुमार सिंह के निधन का दुख हम सभी के लिए असहनीय है परंतु उससे भी बड़ी विडंबना उनके इलाज में बिल के भुगतान के लिए कोलकाता के रविंद्र नाथ टैगोर हॉस्पिटल के प्रबंधन द्वारा पार्थिव शरीर को रोक लिया गया. काफी जद्दोजहद के बाद उनका बिल 3 लाख 93 हजार रुपए कल्याण कोष से स्वीकृति कराकर सोमवार को नारायणी हृदयालया लिमिटेड के खाते में भेजा गया. तब जाकर जवान के पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम में भेजने के लिए अस्पताल प्रबंधन तैयार हुआ. सरकार और प्राधिकार को सरकारी कार्य में घायल जवानों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था करने की आवश्यकता है अन्यथा इस प्रकार मरने के बाद भी अपराधियों की तरह हमारा पार्थिव शरीर रोकना कहीं से भी जायज नहीं है. गौरतलब है कि आरक्षी दिलीप कुमार सिंह का इलाज पहले जमशेदपुर के टीएमएच में चल रहा था. लेकिन हालत नाजुक होने के बाद परिजन और साथी पुलिसकर्मी बेहतर इलाज के लिए कोलकाता ले गए. लेकिन इलाज के खर्च का जिम्मा सरकार ने नहीं लिया, जबकि दिलीप कुमार सिंह ऑन ड्यूटी घायल हुए थे.
मेंस एसोसिएशन ने कल्याण कोष से किया भुगतान
आरक्षी दिलीप कुमार सिंह ने रविवार की रात कोलकाता के रविंद्र नाथ टैगोर हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ा. जिसके बाद सोमवार की सुबह पहले पुलिस मेंस एसोसिएशन सरायकेला-खरसावां शाखा की ओर से प्रदेश अध्यक्ष को बिल भुगतान के लिए राशि निर्गत करने का अनुरोध किया गया. मेंस एसोसिएशन की ओर से कल्याण कोष से राशि निर्गत करते हुए चेक बैंक को भेजा गया और बैंक से जल्द संबंधित अस्पताल के एकाउंट में भुगतान करने का आग्रह किया गया. इन सब प्रक्रिया में शाम तक शव अस्पताल के मार्चरी में रखा रहा. अस्पताल प्रबंधन जवान का शव छोड़ने को तैयार नहीं था. पैसे खाता में पहुंचने के बाद ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका.