Dinesh Kumar Pandey
Bokaro: बोकारो में राजकीय आयुर्वेद अस्पताल का 6 बिल्डिंग पहले से ही बनकर तैयार है, लेकिन अस्पताल कहीं भी चल नहीं रहा है. इसका कारण है डॉक्टरों और कर्मचारियों का अभाव. आयुर्वेद चिकित्सा पदाधिकारी के सभी 10 पद रिक्त हैं. एक अदद कर्मचारी भी तैनात नहीं है. लिहाजा जिले के सभी दसों आयुर्वेद अस्पतालों में ताला लगा हुआ है. सभी अस्पतालों के बिल्डिंग अनुपयोगी बनता जा रहा है.
जिले में 10 आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र की स्वीकृति
बता दें कि जिले के बेरमो, गोमिया, पेटरवार, चास, कोरिया, पिंडराजोरा, सडम, बरमसिया, टुपरा सहित 10 जगहों पर राजकीय आयुर्वेद चिकित्सा केंद्र सरकार द्वारा खोले गए हैं. दस में से छह जगहों पर अस्पताल बनकर तैयार है. कुछ अस्पतालों में उपचार शुरू भी हुए लेकिन धीरे धीरे डॉक्टरों के रिटायरमेंट होने के बाद स्थिति बिगड़ती गई. दूसरी ओर नई बहाली नही होने से सभी पद रिक्त हो गए.
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पद सृजित पद खाली
चिकित्सक 01 01
लिपिक 01 01
भंडारपाल 01 01
मिश्रक 01 01
रात्रि प्रहरी 01 01
राजकीय यूनानी चिकित्सा केंद्र भी बदहाल
बोकारो में दो जगहों पर राजकीय यूनानी अस्पताल है, जरीडीह और कसमार में. इन दोनो अस्पतालों में चिकित्सक सहित 4-4 पद सृजित हैं, लेकिन किसी भी पद पर तैनाती नहीं हुई है. दोनों अस्पतालों में ताला लगा हुआ है.
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राजकीय होमियोपैथिक अस्पताल भी बदहाल
बोकारो में राजकीय होमियोपैथिक अस्पताल भी है लेकिन जानकारी पब्लिक को नहीं है. लगभग डेढ़ दशक पहले अस्पताल बंद हो गया है. यहां तीन यूनिट स्वीकृत है, लेकिन एक भी यूनिट पर तैनाती नही है. मजेदार बात यह है कि दो यूनिट है भी तो उनकी प्रतिनियुक्ति जिला से बाहर की गई है.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस बाबत सिविल सर्जन डॉं अभय भूषण प्रसाद ने कहा कि यह विभाग मेरा नहीं है. इसकी देखभाल रांची से होता है. जहां तक जानकारी है कि चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की कमी के कारण एक भी कर्मचारी तैनात नही है.