दिनेश कुमार पांडेय
Bokaro : बोकारो में पशुपालन विभाग द्वारा चलाए जा रहे पशु चिकित्सालय बेहाल हैं. 12 भ्रमणशील पशु चिकित्सकों के भरोसे ही पशु चिकित्सा की सारी खानापूर्ति हो रही है. जबकि सृजित पद 18 हैं. इन्ही 12 पशुपालन पदाधिकारियों के भरोसे लगभग 24 लाख पशु पछी हैं. जिनमे, गाय, भैंस, बकरी, सूअर, भेड़, बत्तख, मुर्गी आदि शामिल हैं. चिकित्सकों की कमी के कारण कई पशुपालन चिकित्सक अतिरिक्त प्रभार में भी हैं. नतीजतन चिकित्सकीय कार्य के साथ-साथ सरकार द्वारा चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान भी प्रभावित हो रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि व्यवस्था में सुधार व चिकित्सकों की नियुक्ति को लेकर अब भी दूर-दूर तक कोई पहल होती नज़र नहीं आ रही है.
आंकड़ों पर एक नज़र
जिले के सभी 9 प्रखंडों में प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी के 9 पद स्वीकृत हैं. जबकि तीन ही नियुक्त हैं. दो अनुमंडल चिकित्सा पदाधिकारी कार्यरत हैं. अतिरिक्त प्रभार में दो चिकित्सक हैं. एक महिला चिकित्सक हैं. साथ ही एक ज़िला पशुपालन अधिकारी की नियुक्ति है. ये सभी ही भ्रमणशील पशु चिकित्सक के रूप में सेवाएं दे रहे हैं. कुल भ्रमणशील पशु चिकित्सकों के 18 पद स्वीकृत हैं, जबकि 12 ही सेवा दे रहे हैं. इसी तरह पशु अस्पतालों में 41 कर्मचारियों के पद सृजित हैं, जबकि 29 कर्मचारी ही नियुक्त हैं.
पशु पंक्षियों की संख्या
विभाग के अनुसार जिले में पशु पक्षियों की कुल संख्या 23 लाख 80 हज़ार 672 है. बेरमो प्रखंड मे 15,698, पेटरवार में 46,1,609, कसमार में 95,937, चंदनकियारी में 4,01,011, चंद्रपुरा में 1,13,628, चास में 6,04,949, नावाडीह में 1,78,178, जरीडीह प्रखंड में 2,56,976 और गोमिया प्रखंड में 2,32,686 पशु पक्षी हैं.
मांग के अनुरूप उपलब्ध नहीं हुआ टीका
बोकारो जिले मे 19 हज़ार टीका के लिए वायल मिले हैं. जबकि जरूरत 46 हज़ार वायल की है. जिला पशुपालन विभाग के सूत्र बताते हैं कि अतिरिक्त इंजेक्शन की मांग विभाग से की गई थी, लेकिन आपूर्ति नहीं हो सकी. फिलहाल विटामिन समेत अन्य टीका अभी तक उपलब्ध है. गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिरक्षण टीका तक मुहैया नहीं है.
पदस्थापन बोकारो में, प्रतिनियुक्ति कोडरमा में
बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में महिला चिकित्सक पदस्थापित है. लेकिन उनकी प्रतिनियुक्ति कोडरमा में है. इसलिए वहां पशु पंक्षियों के इलाज प्रभावित होते हैं. उनका भुगतान कहां से होता है, ये जानकारी अधिकारियों ने नहीं दी है.
इन अस्पतालों में नहीं है डॉक्टर
जिले के चंद्रपुरा, बेरमो, कसमार, पेटरवार, नावाडीह प्रखंड के पशु चिकित्सालय में चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं. इन जगहों पर दो-दो चिकित्सको के पद सृजित किए गए हैं.
प्राइवेट डॉक्टरों की कट रही चांदी, पशुपालक बेहाल
शहरी क्षेत्रों में लगभग तीन लाख पशु है. लेकिन शहर से दूर व व्यवस्था विहीन रहने के कारण इन पशुओं का इलाज़ निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के भरोसे आश्रित है. जहां मनमाने तरीके से पशुपालकों से रूपयों की वसूली होती है. कई अस्पताल खुले जरूर होते हैं, लेकिन चिकित्सक उपलब्ध नहीं होते. पशुओं का असामयिक निधन भी चिकित्सा व दवाइयों की कमी से हो जाता है.
करोड़ों के भवन पड़े बेकार
स्वास्थ्य विभाग ने सभी प्रखंडों में लाखों खर्च कर पशु चिकित्सालय बनाया. लेकिन डॉक्टर की तैनाती बिना भवन अनुपयोगी बना हुआ है. रंग रोगन और देखरेख के अभाव में कई अस्पताल भवन जर्जर होकर धराशाई होने लगे हैं.
कहते है संबंधित अधिकारी
जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ.मनोज कुमार मणि ने बताया कि चिकित्सकीय कार्य प्रभावित नही हो रहे हैं. कर्मियो व चिकित्सको की कमी जरूर है, लेकिन उपलब्ध संसाधनों से ही सारे कार्य संपन्न हो रहे हैं
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