Bokaro : मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दिव्या मिश्रा की कोर्ट ने गुरुवार 15 दिसंबर को इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट संख्या 1/2007 में बीएसएल प्रबंधक अमरेंदु प्रसाद डायरेक्टर इंचार्ज को एक लाख व चार पूर्व अधिकारियों को दस-दस हजार का जुर्माना किया है. जुर्माना ना देने पर तीन-तीन माह का सजा काटना होगा. पूर्व अधिकारियों में ईडी सितांशु प्रसाद, पर्सनल इंचार्ज एसडी झा, जीएम बीके ठाकुर और सुरेंद्र सिंह शामिल है. कोर्ट में अभियोजन का पक्ष रखने वाले लोक अभियोजक मनोज कुमार ने यह जानकारी दी है.
सूचक राम किशोर प्रसाद 24 जनवरी 1976 को बीएसएल एक्सलेंस विभाग का हिस्सा बने. 1983 में उनके यूनियन एक्टिविटी को आधार बनाकर प्रबंधन ने दो इंक्रीमेंट रोक दिया था. प्रबंधन के इस फैसले को चुनौती देते हुए कर्मी ने लेबर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने दस जनवरी 1994 को कर्मी के खिलाफ प्रबंधन के फैसले को गलत ठहराते हुए, कर्मी का रुका हुआ इंक्रीमेंट बहाल करते हुए प्रमोशन देने का आदेश दिया. परंतु प्रबंधन ने कोर्ट के फैसले को नही माना. मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पंहुचा. कर्मी ने खुद के संघर्ष को जारी रखते हुए एसएलपी 76/86, 2008 दायर किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में मुख्य न्यायीक दंडाधिकारी बोकारो के अदालत को मामले में संज्ञान लेते हुए कार्यवाही का निर्देश दिया. गाइडलाइन के तहत कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की. गुरुवार को लंबे इंतजार के बाद तथ्यों के आधार पर फैसला सुनाया.
18 वर्ष 9 माह 12 दिन का भुगतान
लोक अभियोजक ने कहा कि कोर्ट के फैसले के अनुसार बीएसएल प्रबंधन को 18 साल 9 माह दो दिन का प्रतिदिन दो सौ रुपये के हिसाब से कर्मी को भुगतान करना होगा. इसके अलावा जुर्माने की एक लाख 40 हजार की राशि भी सेवानिवृत्त कर्मी को मिलेगी.
यूनियन में सक्रिय
लोक अभियोजक ने बताया कि सूचक सेवानिवृत्त कर्मी यूनियन में सक्रिय थे, एटक में एडिशनल जेनरल सेक्रेटरी थे. इसी एक्टिविटीज को आधार बनाकर बीएसएल प्रबंधन ने कर्मी का दो इंक्रीमेंट रोक दिया था.
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