Dinesh Kumar Pandey
Bokaro: डीएफओ अरुण कुमार सिंह की कार्यशैली इनदिनों चर्चा में है. आरोप है कि उनकी वजह से कई फाइल दब गए जिनपर सुनवाई लंबित है. उन्होंने अपने वरीय अधिकारियों के आदेश को भी तरजीह नहीं दी. हालांकि डीएफओ अरूण कुमार सिंह दावा करते हैं कि वनभूमि को बचाने के लिए वो काफी संजीदा हैं. उन्होंने बोकारो डीसी के तीन-तीन बैठकों में दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं किया. पीपीसीएफ के निर्देशों को भी उन्होंने तरजीह नहीं दी. अरूण कुमार सिंह पर आरोप है कि 160 मामलों के निष्पादन में अपने दायित्व का समुचित निर्वहन नहीं किया. इसी का परिणाम है कि केस से संबंधित लोग दफ्तर का ही चक्कर काटते रहते हैं.
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इन निर्देशों पर डीएफओ ने नहीं दिखाई रुचि
1 राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार के प्रधान सचिव के निर्देश पर डीएफओ अरूण कुमार सिंह ने रूचि नहीं दिखाई. डीसी की अध्यक्षता में 16, 20-21 अक्तूबर, 31 दिसंबर 2021 और 12 फरवरी 22 को बैठक हुई थी. इस बैठक में डीसी ने निर्देशित किया था कि बांधगौड़ा मौजा में कितनी वनभूमि है, उसकी सूची सीओ चास को उपलब्ध कराई जाय. डीसी ने पत्रांक 178/2022 तथा पत्रांक 766/2022 के माध्यम से बांधगौड़ा मौजा में कितनी वनभूमि है जानकारी मांगी थी. लेकिन आजतक उन्होंने जवाब नही दिया.
2 दूसरी तरफ डीएफओ अरूण कुमार सिंह ने डीसी, अपर मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, आरसीसीएफ के प्रतिवेदन को गलत बता दिया. इसके बाद आरसीसीएफ ने 26 अक्तूबर 2021 को बोकारो डीएफओ अरूण कुमार सिंह के खिलाफ वरीय अधिकारी को लिखकर उनकी भूमिका पर सवालिया निशान खड़ा किया था. आर्यभट्ट की भूमि पर अवैध रूप से भवन निर्माण मामले में दाखिल बीपीएलई संख्या 13,14,15,16/19 पर कार्रवाई की मांग आर्यभट्ट के सचिव शंभूनाथ तिवारी ने थी. जब डीएफओ ने सुनवाई लंबित रखा तो पीसीसीएफ ने उन्हें निर्देशित किया. बावजूद इसके इस संबंध में सुनवाई नहीं हुई.
फर्जी तरीके से आवास निर्माण का आरोप
आर्यभट्ट आवास सहयोग समिति के सचिव शंभूनाथ ने 3 जून 2021 को पीसीसीएफ को एक पत्र लिखा था. उसमे उन्होंने कहा था कि चास अंचल के बांधगौड़ा के खाता संख्या 28 के प्लाट संख्या 978 में वनभूमि का फर्जी दस्तावेज तैयार कर अवैध अतिक्रमण जारी है. उन्होंने बीपीएलई का हवाला दिया था.
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लंबित हैं कई मामले
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद बिहार पब्लिक लैंड इंक्रोचमेंट अधिनियम के तहत 160 मामले लंबित हैं. जबकि एक निर्धारित समयावधि के भीतर इसे निष्पादित कर दिया जाना था.
आरोप पर डीएफओ ने क्या कहा
डीएफओ अरुण कुमार सिंह का जब पक्ष जानने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि ऑफिस में नहीं हैं इसलिए जानकारी नहीं दे सकते.