Bokaro: डॉ अर्चना सुसाइड मामले को लेकर शनिवार को बोकारो के चिकित्सकों ने कार्य का बहिष्कार किया. इस घटना के विरोध में सभी निजी एवं सरकारी डॉक्टरों ने सभी तरह के ओपीडी सेवाओं को बंद कर दिया. डॉक्टरों ने मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत सुरक्षा की मांग की. उन्होंने 12 घंटे के लिए कार्य का बहिष्कार किया. इस दौरान इमरजेंसी सेवा चालू रही. यह आंदोलन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), डॉक्टर वीमेंस विंग और झारखंड राज्य स्वास्थ्य संगठन (झासा) ने किया.
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डॉक्टर निकेत चौधरी ने कहा कि कोई डॉक्टर मरीज के इलाज में कोताही नहीं करता है. लेकिन लोग उग्र होकर तोड़फोड़ करने लगते हैं. वे मारपीट पर उतर जाते हैं. डॉक्टरों पर मरीज और समाज का काफी दबाव होता है. महिला चिकित्सक डॉ पिंकी ने कहा कि डॉ अर्चना के कमरे से बरामद सुसाइड नोट बहुत कुछ बता रहा है. वह एक डॉक्टर ही नहीं बल्कि बच्चे की मां भी थी. उन्होंने कहा कि हालत ऐसी रही तो कोई डॉक्टर बनने की सोच भी नहीं सकता. डॉक्टरों ने सरकार को इस आंदोलन से मैसेज दिया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. डॉक्टरों ने कहा कि इतने दबाव में रहकर कोई भी डॉक्टर काम नहीं कर सकता है.
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