Bokaro : एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग कर एक युवक ने अपना रास्ता अलग देख लिया है. किसी कंपनी में नौकरी करने के बजाये स्वरोजगार को बढ़ावा देना बेहतर समझा और इसी दिशा में काम शुरू कर दिया. स्वरोजगार को बढ़ावा देते हुए पूरे परिवार एवं समाज को नई दिशा दिया है.
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बहादुरपुर में बत्तख पालन कर रहे हैं
इंजीनियर राजकिशोर चास प्रखंड के सोनाबाद गांव के निवासी हैं जो अब बहादुरपुर में बत्तख पालन कर रहे हैं. सरकार इन स्वरोजगार योजना को बढ़ावा देकर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की बात जरूर कहती हैं, लेकिन वास्तविकता कुछ अलग है. इंजीनियर राजकिशोर महतो कहते है कि अर्थ युगीन भारत में स्वालम्बन जरूरी है, वह इसलिए कि पेट की भूख शांत करना जरूरी है. इंजीनियरिंग करने के बाद उन्होंने नौकरी इसलिए नहीं किया कि वे चार भाई है, नौकरी अकेले करते लेकिन जब उन्होंने जीने का तरीका बदला तो सभी भाई मिलकर रजामंदी से एक साथ काम करते हैं. इंजीनियर ने बताया कि हमलोग बत्तख पालने में नया हैं इसलिए समुचित देखभाल नहीं हो पाता है, लिहाजा बत्तख मर रहे हैं.
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सरकार मदद करती तो सपनो के पंख लग जाते
उन्होंने कहा कि यदि सरकार प्रशिक्षण की व्यवस्था करती हैं, हम बेहतर फार्मिंग कर पाते. मेहनत के बल पर आज यह परिवार दो जून की रोटी का मोहताज नहीं है. राजकिशोर अब पूरे इलाके में स्वरोजगार को बढावा दे रहे है. युवाओं के लिए प्रेणास्रोत बने राजकिशोर कहते है कि सरकार यदि आर्थिक सहायता प्रदान करती तो सपनो के पंख लग जाते.