Bokaro : गरगा नदी में नाली के पानी प्रवाहित किये जाने से यह प्रदूषित हो रही है. लगभग पचास हजार से अधिक आबादी वाले इलाके के हजारों घरों का गंदा पानी गरगा नदी में जाता है. शहर का सारा कचरा भी इसी नदी में डंप किया जा रहा है. भारी मात्रा में जलकुंभी हो जाने के कारण नदी भी जाम हो रही है. जिसकी वजह से नदी का अस्तित्व खत्म होता दिख रहा है.
लोगों ने कई बार प्रशासन से लगाई नदी को बचाने की गुहार
स्थानीय लोगों ने कई बार नदी को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार भी लगायी. लेकिन आज तक इस पर कोई पहल नहीं की गयी. कुछ दिन पहले सामाजिक संगठनों के पहल पर नदी को बचाने के लिए लंबे अरसे तक युद्धस्तर पर सफाई अभियान चलाये जा रहे थे. जिसके बाद जिला प्रशासन ने भी इसे बचाने के लिए कार्य योजना तैयार की थी. लेकिन अब तक कोई काम शुरू नहीं किया गया.
डस्टबिन होने के बाद भी नदी में फेंकते हैं कचरा-अनिल कुमार सिंह
चास नगर निगम के अपर नगर आयुक्त अनिल कुमार सिंह का कहना है कि कचरों को डंप करने के लिए कई जगहों पर डस्टबिन भी रखे गये हैं. इसके बावजूद भी लोग नदी का उपयोग कचरा फेंकने में करते हैं. यह काफी दुखद है. उन्होंने कहा कि इस नदी में कई नालों के पानी भी बहते हैं. इसको रोकने के लिए किसी तरह का कोई कार्य योजना तैयार नहीं की गयी है.
अनुपयोगी बनता जा रहा नदी का पानी
बता दें कि गरगा नदी से कई घरों में जलापूर्ति होती है. नदी के पानी का इस्तेमाल लोग नहाने, कपड़ा और बर्तन धोने का काम करते हैं. लेकिन मोहल्ले का गंदा पानी प्रवाहित होने से यह नदी अनुपयोगी बनते जा रहा है. नदी का पानी गंदा होने के लोग तो मुंह मोड़ ही रहे हैं. इतना ही नहीं गंदा पानी होने के कारण सरकार द्वारा संचालित कई योजनाएं भी प्रभावित हो सकती हैं.
जलापूर्ति संकट के समय गर्ग ऋषि ने किया था नदी का निर्माण
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, गर्ग ऋषि ने इस नदी का निर्माण कराया था. जब जलापूर्ति का संकट उत्पन्न हुआ था तब उन्होंने तपस्या करके इस नदी का निर्माण किया था. ऐसी धार्मिक मान्यता है. तब से यह नदी आम लोगों की जरूरतों को पूरी करती है. कई एकड़ फसल भी इस नदी पर आधारित है. यदि इस नदी से जल निकालकर आपूर्ति की जाये तो भी हजारों एकड़ बंजर भूमि पर खेती संभव हो सकती है.
धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी होता है इस्तेमाल
इस नदी का इस्तेमाल धार्मिक अनुष्ठान छठ पूजा आदि में भी की जाती है. जीवित्पुत्रिका के दिन सैकड़ों की संख्या में महिलाएं इस नदी में स्नान कर न केवल अपने बच्चों की कुशलता की कामना करती है, बल्कि भगवान को इसी नदी के जल को अर्घ्य प्रदान करती है. लेकिन इस नदी के उपेक्षा के कारण आम लोगों में भी काफी आक्रोश व्याप्त है.