Bokaro : झारखंड में बड़ी चालाकी से अन्य भाषाओं को स्थानीय सूची में शामिल किया गया है. झारखंडी अपने हक एवं अधिकार के लिए संघर्षरत रहे हैं. इसका उदाहरण स्वर्गीय विनोद बिहारी महतो हैं. यह बात बोकारो जिले के पिंडराजोरा थाना क्षेत्र के सोनाबाद में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयराम महतो ने कही. उन्होंने कहा कि आज भाषा विवाद है, लेकिन इससे भी बड़ा मामला 1932 का खतियान हैं. सरकार को इसे भी लागू करना होगा. सरकार लागू नहीं करेगी तो झारखंडी चुप नहीं बैठेंगें. झारखंडी अपने हक और अधिकार के प्रति जागरूक हो चुके है. उन्होंने कहा कि विनोद बिहारी के पदचिन्हों पर चलकर हम उनके सपनों का झारखंड बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में उद्योग और नियोजन नीति बनाना होगा. भाषाई आंदोलन नए झारखंड के लिए एक झलक है.
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