जैन समाज के 9 दिवसीय आध्यात्मिक कार्यक्रम का समापन
Bokaro : मिच्छामी दुक्कड़म. यानी मेरे द्वारा जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए मुझे क्षमा करें. उपासिकाओं की इसी वाणी के साथ जैन धर्मावलंबियों के 9 दिवसीय पर्युषण महापर्व का 20 सितंबर बुधवार को समापन हो गया. बोकारो के सेक्टर 2 स्थित जैन मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अमृत वचन का लाभ उठाया. चास के श्री माणिकचंद छालाणी भवन से आईं उपासिका वीणा बोथरा व ममता बोथरा ने अपने प्रवचन में कहा कि पर्युषण आत्मशोधन व आत्मोत्थान का महापर्व है.
उपासिका वीणा बोथरा ने कहा कि क्षमा मांगना या क्षमा करना दोनों ही श्रेष्ठ माने जाते हैं. पर्युषण महापर्व मात्र जैनों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौमिक पर्व है. पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है. क्योंकि इसमें इंसान अपने मन को मांजने का उपक्रम करता है. आत्मा की उपासना करता है. ताकि जीवन के पापों एवं गलतियों को सुधारा जा सके, जीवन को पवित्र, शांतिमय, अहिंसक एवं सौहार्दपूर्ण बनाया जा सके.वास्तव में, पर्युषण पर्व प्रतिक्रमण का प्रयोग है. पीछे मुड़कर स्वयं को देखने का ईमानदार प्रयास है. आयोजन को सफल बनाने में तेरापंथ युवक परिषद व तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई.
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