Bokaro : बोकारो के उपनगर चास स्थित भर्रा बस्ती में शुक्रवार को आदिवासी सेंगेल अभियान के तत्वावधान में संताल आदिवासियों ने धूमधाम से बाहा पर्व मनाया. समारोह का नेतृत्व कर रहे सेंगेल परगना चास प्रखंड अध्यक्ष जलेश्वर किस्कू ने बताया कि इस वर्ष बाहा पर्व में हंडिया दारू की जगह बेरेल दा अर्थात निर्मल जल से पूजा संपन्न की गई. गांव के नायके (पुजारी) ललित किस्कू ने जाहेरथान में बोंगा (पूजा) की और सुख समृद्धि के लिए एकता प्रार्थना की गई.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बोकारो जोनल संयोजक आनंद टुडू ने कहा कि संताली भाषा में बाहा का अर्थ होता है फूल यानी फूलों का पर्व. जब प्रकृति फूलों व वृक्षों के नए पत्तों से अपना श्रृंगार करती है और बसंत जन-जन के मन में हिलोरे लेने लगता है, तब संताल जनजाति बाहा पर्व मनाती है. बाहा पर्व में सारजोम अर्थात सखुआ के फूल का विशेष महत्व होता है. जाहेर थान में मांझी, जोगमांझी, नायकी, गोडेत पूजा अर्चना के बाद सुड़े अर्थात खिचड़ी का महाप्रसाद ग्रहण कर जाहेरथान में महिलाएं बाहा नृत्य करती हैं. घरों में सुख समृद्धि निरोग एवं दीर्घायु के प्रति सखुआ के फूल बांधे जाते हैं, जो बाहा पर्व की शुरूआत है. बाहा पर्व के बाद ही संताल जनजाति अपना कोई भी शुभ कार्य शुरू करता है.
इस अवसर पर संगठन के बोकारो जिला अध्यक्ष सुखदेव मुर्मू ने भी अपने विचार व्यक्त किये, कार्यक्रम में जयराम सोरेन, सुगदा किस्कू, कृष्णा किस्कू, कोमल किस्कू, राखो किस्कू, फूलचंद किस्कू, भीम मुर्मू, मिहीलाल किस्कू, दशरथ मुर्मू, लक्ष्मी मुर्मू, फूलमनी मुर्मू, चेतलाल किस्कू, प्रमिला मुर्मू, जीतलाल हेम्बरम, पार्वती किस्कू, बसंती मुर्मू, सादमती किस्कू, अनिल सोरेन, सरवन सोरेन, लवली किस्कू सहित सैकड़ों महिला-पुरुष शामिल थे.
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